हमारे पूर्वजों एवं ने हमें क्या दिया है
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नही नहीं नही नहीं नही नहीं नही नहीं नही
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भारत में पूर्वज पूजा की प्रथा विश्व के अन्य देशों की भाँति बहुत पुराणी है। यह प्रथा यहाँ वैदिक काल से चली आ रही है। विभिन्न देवी देवताओं को संबोधित वैदिक ऋचाओं में से अनेक पितरों तथा मृत्यु की प्रशस्ति में गाई गई हैं। पितरों का आह्वान किया जाता है कि वे पूजकों (वंशजों) को धन, समृद्धि एवं शक्ति दे,पितरो की हर साल पितृ पक्ष आने पर पूजा अवं पिंड दान की भारत में प्रथा है। हमारे पूर्वज को देवी देवता का दर्जा दिया गया है।
हमारे पूर्वजों एवं ने हमें क्या दिया है:
हमारे शरीर हमारे पूर्वजों की देन हैं।
हमारे जीवन की कुछ बुनियादी बनावट या तंतु हमें अपने माता-पिता, अपने जींस आदि से मिलते हैं। लेकिन हमारा जीवन-तत्व, यानी हम जीवन को कैसे संचालित कर रहे हैं - यह खुद हम तय करते हैं।
हमारे भीतर क्या आया इसके लिए हम भले ही जिम्मेदार न हों, लेकिन हमारे भीतर से क्या बाहर जा रहा है यह विकल्प और जिम्मेदारी निस्संदेह हमारी है। हमारे भीतर जो भी आया, वो हमारा चयन नहीं था। ऐसा होता है, इसमें क्या कर सकते हैं? लेकिन हमें जो मिला, उससे अपने भीतर हम क्या तैयार करते हैं और क्या बाहर निकालते हैं, वो सौ फीसदी हमारा चयन होगा। आपको जो मिला, उससे आपने क्या तैयार किया और वो आपके भीतर से किस रूप में बाहर आया, इस सब के कुछ खास नतीजे होते हैं। जो भी आप सोचते हैं, उसका भी कुछ नतीजा होता है। आप अंग्रेजी में बोलें या चीनी में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आप जो भी बोलते हैं उसका एक खास परिणाम होता है और वह परिणाम आपका होता है, जिसके लिए आप अपने माता-पिता या पूर्वजों को जिम्मेदार नहीं मान सकते।