हमारे प्यारे प्रेम चंद पर अनुछेद लेखन
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मुंशी प्रेमचंद मेरे प्रिय एवं आदर्श साहित्यकार हैं । वे हिंदी साहित्य के प्रमुख स्तंभ थे जिन्होंने हिंदी जगत को कहानियाँ एवं उपन्यासों की अनुपम सौगात प्रस्तुत की । अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए मुंशी प्रेमचंद उपन्यास सम्राट कहे जाते हैं ।
केवल साहित्यकार ही नहीं अपितु सच्चे अर्थों में समाज सुधारक भी कहे जा सकते हैं क्योंकि अपनी रचनाओं में उन्होंने भारतीय ग्राम्य जीवन के शोषण, निर्धनता, जातीय दुर्भावना, विषाद आदि विभिन्न रंगों का जो यथार्थ चित्रण किया है उसे कोई विरला ही कर सकता है ।
केवल साहित्यकार ही नहीं अपितु सच्चे अर्थों में समाज सुधारक भी कहे जा सकते हैं क्योंकि अपनी रचनाओं में उन्होंने भारतीय ग्राम्य जीवन के शोषण, निर्धनता, जातीय दुर्भावना, विषाद आदि विभिन्न रंगों का जो यथार्थ चित्रण किया है उसे कोई विरला ही कर सकता है ।
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gud
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हिन्दी न केवल भारत की राष्ट्रभाषा है बल्कि अंग्रेजी एवं मंदारिन (चीन की भाषा) के बाद दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा भी है | यही कारण है कि इसके पाठकों की संख्या दुनियाभर में करोड़ो में है और हिन्दी के दुनियाभर के इन करोड़ो पाठकों में शायद ही कोई ऐसा होगा जो प्रेमचन्द को न जानता हो | प्रेमचन्द जिन्हें दुनिया ‘उपन्यास सम्राट’ के तौर पर जानती है, तथा साहित्य जगत ने उनके लेखन से प्रभावित होकर उन्हें ‘कलम के सिपाही’ का उपनाम दिया है |
प्रेमचन्द, जिनके बचपन का नाम धनपतराय था, का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट लमही नामक ग्राम में हुआ था | उनके पिता का नाम अजायब लाल शर्मा तथा मां का नाम आनंदी देवी था | प्रेमचन्द जब 7 वर्ष के थे, तब उनकी मां का निधन हो गया, जिसके पश्चात उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली | विमाता की अवहेलना एंव निर्धनता के कारण उनका बचपन अत्यंत कठिनाइयों में बीता |
प्रेमचन्द की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई | जब वे पढ़ाई कर रहे थे तब ही 15 वर्ष की अल्प आयु में उनका विवाह कर दिया गया | विवाह के बाद घर गृहस्थी का बोझ उनके कंधों पर आ गया था | घर-गृहस्थी एंव अपनी पढ़ाई का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरु किया | इसी तरह से संघर्ष करते हुए उन्होंने बी.ए. तक की शिक्षा पूरी की | इस बीच उनका अपनी पहली पत्नी से अलगाव हो गया, जिसके बाद उन्होंने शिवरानी देवी से दूसरा विवाह कर लिया
प्रेमचन्द, जिनके बचपन का नाम धनपतराय था, का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट लमही नामक ग्राम में हुआ था | उनके पिता का नाम अजायब लाल शर्मा तथा मां का नाम आनंदी देवी था | प्रेमचन्द जब 7 वर्ष के थे, तब उनकी मां का निधन हो गया, जिसके पश्चात उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली | विमाता की अवहेलना एंव निर्धनता के कारण उनका बचपन अत्यंत कठिनाइयों में बीता |
प्रेमचन्द की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई | जब वे पढ़ाई कर रहे थे तब ही 15 वर्ष की अल्प आयु में उनका विवाह कर दिया गया | विवाह के बाद घर गृहस्थी का बोझ उनके कंधों पर आ गया था | घर-गृहस्थी एंव अपनी पढ़ाई का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरु किया | इसी तरह से संघर्ष करते हुए उन्होंने बी.ए. तक की शिक्षा पूरी की | इस बीच उनका अपनी पहली पत्नी से अलगाव हो गया, जिसके बाद उन्होंने शिवरानी देवी से दूसरा विवाह कर लिया
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