हमारा पर्ाावरण हमारा रक्षा-कवच है। र्ह हमें प्रकृति से ववरासि में ममली है। र्ह हम सबका पालन किाा और
जीवनाधार है। वस्िुिःपर्ाावरण- रक्षण भारिीर् सस्ं कृति से जुडा है, पेड-पौधे और जानवर हमारे ममत्र हैं। बडे-
बडे बाग-बगीचों और पार्को र्को शहर र्का फे फडा' कहा जािा है। हमारी सस्ं कृति में पेड लगाना पुण्य-कार्ा माना
जािा है। पीपल, बरगद, आम, नीम, जामुन, आँवला जैसे उपर्ोगी वक्षृ ों के रोपण को महान धाममका कृत्र्
माना गर्ा है। र्े कार्ा प्रकृति एवं पर्ाावरण के प्रति हमारी आस्था प्रकट करिे हैं। इन कार्ों से हम में अच्छे
संस्कार आिे हैं। मशक्षा का सही लाभ िभी होगा, जब हम अच्छे संस्कारों को बनाए रख।
पर्ाावरण प्रदषूण को रोकने के मलए सबसे अधधक आवश्र्किा इस बाि की है कक प्रदषूक कार्ों को रोका जाए
सरकारी स्िर पर इस ददशा में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अतिररक्ि पर्ाावरण - प्रदषूण को रोकने में
हम स्वर्ं भी सहर्ोग दे सकिे हैं।
प्रश्ि :-
क) पयाावरण र्की रक्षा र्करना हमारा परम र्कर्ाव्य हैर्कै से?
ख) हमारी संस्र्कृतर् में पेड़ र्के बारे में क्या धारणा है?
ग) शिक्षा र्का सही लाभ र्कब होगा?
घ) कर्कन वक्षृ से हमारी आस्था प्रर्कट होर्ी है?
ङ) गदर्ांश र्का
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