हमारे परम पूजनीय आर्यगण अपनी बात का इतना पक्ष करते थे कि "तन तिय तनय धाम धन धरनी।
सत्यसंध कहँ तृन सम बरनी।
प्रशन (क) उपर्युक्त गद्यनश की व्याख्या लिखिए
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I can't read Hindi
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I didn't learn sorry
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