हमारो परपरा महिमामयी और संस्कार उज्ज्वल है।
(2) बाख्लो को बढ़ाना मनुष्य के स्वनिर्धारित आयवधन का फल है जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है।
(३) एक ज्ञानो पिता बड़ा दयनीय जीव होता है।
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(4) मनुष्य के नाखून काटने के बाद हर तीसरे दिन बढ़ जाते है।
(5) मनुष्य झगडे-टटे को अपना आदर्श नहीं मानता।
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