हमारे पशुमित्र पर निबंध
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आज से लगभग 130 हजार वर्षे पूर्व मानव का विकास हुआ था । इसी प्रकार लगभग 40 हजार वर्ष पूर्व उसने अग्नि का प्रयोग करना सीख लिया । इसका प्रयोग वह खाना पकाने, गर्मी प्राप्त करने और हिंसक जानवरों को मार भागने में करता था ।
फिर उसने कृषि करना भी सीख लिया और जानवरों का शिकार करने के स्थान पर उन्हें पालना सीख लिया । इस तरह मनुष्य और पशुओं की मित्रता की कहानी बहुत पुरानी है । संभव हैं, मानव ने सबसे पहले कुत्ते से मित्रता प्रारंभ की हो, और फिर दूसरे पशुओं जैसे गाय, बैल, घोड़े आदि को पलना प्रारंभ किया हो । ये पशु हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं ।
इन से हमारे अनेक कार्य सिद्ध होते हैं । उदाहरण के लिए कुत्ता एक बड़ा स्वामिभक्त जानवर है । अपने स्वामी के लिए वह अपने प्राण भी बलिदान कर देता है । सुरक्षा करने, मार्ग दिखाने आदि में कुत्ते अतुलनीय है । पुलिस के कुत्ते चोर-डाकुओं, आतंकवादियों, तस्करियों को पकड़ने में बड़े सहायक होते हैं ।
संकट में फंसे हुए लोगों को बचाने में भी कुत्ते बहुत कुशल होते हैं । मनुष्य भी एक प्रकार का पशु ही है, परन्तु यह एक सामाजिक और बुद्धिमान प्राणी है । इस बुद्धि का उपयोग मानव ने अपने विकास और समृद्धि के लिए बड़ी चतुराई से
किया है । उसने पशुओं को पालकर उनसे काम लेना प्रारंभ किया । चार्ल्स डारविन ने मानव का विकास पशुओं और वानरों से माना है । इस तरह हमारार और पशुओं का संबंध बहुत पुराना और घनिष्ठ है । हिन्दू-धर्म में गणेश, हनुमान आदि महत्वपूर्ण देवता हैं ।
गणेश जी का सिर हाथी का है और हनुमान जी वानर हैं । रामायण में वानरों और रीछों ने रामचन्द्र जी को रावण को परास्त करने में बड़ी सहायता की थी । उनके इस सहयोग के बिना सीता को दुष्ट रावण की कैद से छुड़ाना असंभव था ।
गाय हमारे लिए कितनी लाभदायक है । इससे हमें दूध, दही, घी, मक्खन, पनीर, आदि के अतिरिक्त गोबर, खाद, चमड़ा आदि मिलते हैं । बैल बोझा ढोने, गाड़ी और हल चलाने कुंए से पानी निकालने आदि में बड़े काम का है । घोड़ा भी कम उपयोगी नहीं है ।
यह हमारे कई काम में आता है । जब घोड़े की बात चलती है, तो महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक स्मरण हो आता है । चेतक ने अपने प्राण देकर हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के प्राण बचाये थे । इसी तरह ऊंट, टट्टू, हाथी, याक, गधा आदि भी हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं । हाथी जितना विशाल है उतना ही बुद्धिमान भी ।
उसकी सवारी की एक निराली ही शान है । ऊंट तो रेगिस्तान का जहाज ही है । बिना पानी के वह रेगिस्तान में यात्रियों और सामान को दूर-दूर तक ले जा सकता है । ऊंचे पहाड़ों पर याक एक बहुमूल्य पशु है । इसका दूध, बाल, खाल, मांस आदि सभी बहुत उपयोगी हैं ।
पशु अपनी मित्रता में सदा खरे उतरे हैं । उन्होंने मानव की सब तरह से सेवा की है बिल्ली भी हमारी अच्छी मित्र है । वह चूहे मारती है और हमारा मनोरंजन करती है । पश्चिमी देशों में बिल्ली पालना एक आम शौक है । बकरी भी कम उपयोगी नहीं है । वह दूध, दही, मक्खन आदि देती है । बहुत-से-लोग बकरे का मांस बड़े चाव से खाते हैं । भेड़ों से हमें ऊन, दूध और मांस मिलता है ।
इसलिए भेड़ो और बकरियों को बड़ी संख्या में पाला जाता है । उनका व्यापार किया जाता है । गधा चाहे मूर्खता का पर्याय बन गया हो, पर इसकी उपयोगिता निराली है । बोझा ढोने में इसकी कोई बराबरी नहीं । गरीबों के लिए तो यह जैसे वरदान ही है ।
हमारे देश में धोबी, कुम्हार, छोटे किसान और खानाबदोश लोग इसका बहुत अच्छा प्रयोग करते हैं । मनोरंजन की दृष्टि से भी जानवर श्रष्ठ हैं । सरकस में बन्दर, भालू, हाथी, घोड़े आदि के करतब देखते ही बनते हैं । चिड़ियाघर में गैंडा, मगरमच्छ, हिरण, वनमानुष, सारस आदि होते हैं । इन्हें देखकर मन को बड़ा अच्छा लगता है । सचमुच ये पशु इनार बहुत अच्छे मित्र हैं ।
“पशु हमारे मित्र”
भूमिका:->पशु मनुष्य के सबसे पुराने मित्र हैं। पशुओं के माध्यम से ही मनुष्य का जीवन आसान हुआ है। अगर पशु ना होते तो हमारा जीवन निश्चित रूप से बहुत ही कष्टकारी होता। प्राचीन काल से ही पशुओं ने मनुष्य का साथ दिया है और आज भी दे रहे हैं। पशु मनुष्य की अनेक जरूरतों को पूरा करते हैं।
मनुष्य और पशुओं का इतिहास:-> प्रागैतिहासिक काल में जब मनुष्य ने खेती करना और समूह में रहना शुरू किया तो उसने पशुओं को पालना प्रारंभ किया। वेदों में भी गाय की उपयोगिता का व्याख्यान किया है। गाय को कामधेनु कहा गया है।
पशुओं के लाभ:-> पशु पालने की अनेक लाभ हैं। जैसे हमें गाय दूध देती है। बैलों को कृषि कार्य में लाया जाता है। कुत्ता घर की रखवाली करता हैं। बिल्ली घर में चूहों को मारकर हमारे अन्य भंडार को सुरक्षित रखती है। भेड़ों से हमें उन प्राप्त होती है जिससे हम अपने लिए वस्त्र बना सकते हैं। भेड़ बकरियों तथा मुर्गियों के मांस का मनुष्य सेवन भी करता है। घोड़ों को भारी सामान ढोने के कार्यों में प्रयोग किया जाता है। और भी बहुत से कार्य हैं जिनमें मनुष्य पशुओं का इस्तेमाल करता है। अगर पशु ना होते तो सच में मनुष्य का जीवन बहुत ही कष्टकारी और दुसाध्य होता।
उपसंहार:-> पशु हमारे सच्चे मित्र हैं लेकिन मनुष्य क्रूर बनता जा रहा है। पशुओं के साथ बर्बरता के साथ पेश आता है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके अंदर भी प्राण हैं। हमें उनको अच्छे ढंग से पालना चाहिए क्योंकि वो हमारे लिए बहुत ही उपयोगी हैं। पशुओं के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।