हमारे साहित्य में माता को डस कहा गया है तपस्या titra pooja archana
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ha hamare sahitya ko das gaya kyonki aaj kal sabhi log अ ग्रे . जी basha ka prayog kar te h
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली. ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली माता. इनके दाहिने हाथ में जप की माला होती है एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है.
देवी ब्रह्मचारिणी पूजन विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनका चित्र पूजा स्थान पर स्थापित करें. मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है. उन्हें ये फूल अर्पित करें. दीपक जलाएं. इस मंत्र का 108 बार जप करें.
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
पूर्वजन्म में हिमालय के घर जन्मी मां ब्रह्मचारिणी ने नारदजी के सलाह से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया. इनके कठोर तप के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाए और सौ वर्ष तक जमीन पर रहकर शाक पर जीवनयापन किया.
पूर्वजन्म में हिमालय के घर जन्मी मां ब्रह्मचारिणी ने नारदजी के सलाह से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया. इनके कठोर तप के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाए और सौ वर्ष तक जमीन पर रहकर शाक पर जीवनयापन किया.बारिश और धूप में उन्होंने हजारों वर्ष तक उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. कभी बेलपत्र खाए तो कभी उन्होंने निर्जल और निराहार रहकर कठोर तप किया. तप से शरीर क्षीण हो गया. उनके तप से देवता, ऋषि, मुनि सभी अत्यंत प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि देवी आपके जैसा किसी ने तप नहीं किया, यह आप ही कर सकती हैं. सभी ने कहा कि आपकी मनोकामना पूर्ण होगी और भगवान शिव आपको अवश्य ही पति रूप में प्राप्त होंगे.
पूर्वजन्म में हिमालय के घर जन्मी मां ब्रह्मचारिणी ने नारदजी के सलाह से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया. इनके कठोर तप के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाए और सौ वर्ष तक जमीन पर रहकर शाक पर जीवनयापन किया.बारिश और धूप में उन्होंने हजारों वर्ष तक उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. कभी बेलपत्र खाए तो कभी उन्होंने निर्जल और निराहार रहकर कठोर तप किया. तप से शरीर क्षीण हो गया. उनके तप से देवता, ऋषि, मुनि सभी अत्यंत प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि देवी आपके जैसा किसी ने तप नहीं किया, यह आप ही कर सकती हैं. सभी ने कहा कि आपकी मनोकामना पूर्ण होगी और भगवान शिव आपको अवश्य ही पति रूप में प्राप्त होंगे.