हमारी संस्कृति अनेकता में एकट्रा का बोध कराती है इस कथन की समीक्षा किजीए 1-04
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अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की विशेषतामैनपुरी: हमारा देश एक विशाल राष्ट्र है। इसके नागरिक नाना प्रकार की जाति और उप जातियों में हैं और विभिन्न सम्प्रदायों और धर्मो को मानने वाले हैं। अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की महान विशेषता है। यही सद्भावना एक भावनात्मक एकता की आधारशिला है। विभिन्न जातियों, समुदायों और धर्मो के बावजूद हमारा जनमानस एक ऐसी संस्कृति और एकता के सूत्र में बंधा है जो अपने आप में बेजोड़ है।
उक्त विचार डीएम रणवीर प्रसाद ने लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल जयंती पर जिला चिकित्सालय में मरीजों को फल वितरण एवं क्लब घर में गरीब असहाय, वृद्धजनों को भोजन, कम्बल वितरण करने के उपरांत व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का व्यक्तित्व राष्ट्रीय एकता से लवरेज था। यही वजह है कि उनके जन्म दिन को हमें राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के रूप में मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।उन्होंने कहा कि हमारे देश में आपसी मेल-जोल इतना मजबूत है कि अनेकों अड़चनों, विरोधी ताकतों के बावजूद यहां एकात्मक भावना क्षीण नहीं हुई है। यहां धार्मिक, नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक चेतना ने बराबर लोगों को एक सूत्र में बांधे रखा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सद्भावना विचारों को मिलाती है। टूटे हुये लोगों को जोड़ती है। भिन्न-भिन्न फूलों को एक माला में पिरोकर मजबूत राष्ट्र का निर्माण करती है।
श्री प्रसाद ने कहा कि पटेल की बुद्धिमता और साहस की प्रशंसा भारत के राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि विदेशों के बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों ने भी की है। सरदार पटेल के धैर्य, सहन शक्ति और उनकी आत्म दृढ़ता पर मुग्ध होकर देश ने उन्हें लौह पुरुष की उपाधि प्रदान की। सरदार पटेल ने बड़ी बुद्धिमानी से बिना खून खराबे के सभी रियासतों को भारतीय संघ में मिला लिया, सारी रियासतें समाप्त हो गईं और भारत का अंग बन गईं।
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