Hindi, asked by alpsaa5ismar, 1 year ago

हमारी संस्कृति के रक्षक-पर्व और त्योहार पर निभन्द

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Answered by neelimashorewala
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Answered by jayathakur3939
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हमारी संस्कृति के रक्षक-पर्व और त्योहार

त्यौहार हमारी संस्कृति को संभाले हुए रखें है , हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई कहानी है और यह त्यौहार हमें अपनी संस्कृति से जोड़े हुए हैं और हमेशा जोड़े रखेगी |

भारत त्‍यौहार का देश है। पूरे विश्‍व की तुलना में भारत में अधिक त्‍यौहार मनाए जाते हैं। प्रत्‍येक त्‍यौहार अलग अवसर से संबंधित है, कुछ वर्ष की ऋतुओं का, फसल कटाई का, वर्षा ऋतु का अथवा पूर्णिमा का स्‍वागत करते हैं। दूसरों में धार्मिक अवसर, ईश्‍वरीय सत्‍ता/परमात्‍मा व संतों के जन्‍म दिन अथवा नए वर्ष की शरूआत के अवसर पर मनाए जाते हैं। इनमें से अधिकांश त्‍यौहार भारत के अधिकांश भागों में समान रूप से मनाए जाते हैं। कुछ ऐसे त्‍यौहार, जो पूरे भारत में मनाए जाते हैं, इन का उल्‍लेख नीचे किया गया है।

जन्‍माष्‍टमी के त्‍यौहार में भगवान विष्‍णु की, श्री कृष्‍ण के रूप में, उनकी जयन्‍ती के अवसर पर प्रार्थना की जाती है। हिन्‍दुओं का यह त्‍यौहार श्रावण (जुलाई-अगस्‍त) के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी के दिन भारत में मनाया जाता है। हिन्‍दु पौराणिक कथा के अनुसार कृष्‍ण का जन्‍म, मथुरा के असुर राजा कंस, जो उसकी सदाचारी माता का भाई था, का अंत करने के लिए हुआ था।

जन्‍माष्‍टमी के अवसर पर पुरूष व औरतें उपवास व प्रार्थना करते हैं। मन्दिरों व घरों को सुन्‍दर ढंग से सजाया जाता है व प्रकाशित किया जाता है। उत्‍तर प्रदेश के वृन्‍दावन के मन्दिरों में इस अवसर पर खर्चीले व रंगारंग समारोह आयोजित किए जाते हैं। कृष्‍ण की जीवन की घटनाओं की याद को ताजा करने व राधा जी के साथ उनके प्रेम का स्‍मरण करने के लिए रास लीला की जाती है।

रक्षाबंधन  का त्यौहार हिन्‍दू श्रावण मास (जुलाई-अगस्‍त) के पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्‍यौहार भाई का बहन के प्रति प्‍यार का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती है और उनकी दीर्घायु व प्रसन्‍नता के लिए प्रार्थना करती हैं ताकि विपत्ति के दौरान वे अपनी बहन की रक्षा कर सकें। बदले में भाई, अपनी बहनों की हर प्रकार के अहित से रक्षा करने का वचन उपहार के रूप में देते हैं। रक्षा बंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है।

हिंदू पुराण कथाओं के अनुसार, महाभारत में, पांडवों की पत्‍नी द्रौपदी ने भगवान कृष्‍ण की कलाई से बहते खून (श्री कृष्‍ण ने भूल से खुद को जख्‍मी कर दिया था) को रोकने के लिए अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा था। इस प्रकार उन दोनो के बीच भाई और बहन का बंधन विकसित हुआ था, तथा श्री कृष्‍ण ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया था।

दीपावली अथवा दीवाली, प्रकाश उत्‍सव है, जो सत्‍य की जीत व आध्‍यात्मिक अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है। शब्‍द "दीपावली" का शाब्दिक अर्थ है दीपों की पंक्तियां। यह हिंदू कलेन्‍डर का एक बहुत लोकप्रिय त्‍यौहार है। यह कार्तिक के 15वें दिन (अक्‍तूबर/नवम्‍बर) में मनाया जाता है। यह त्‍यौहार भगवान राम के 14 वर्ष के बनवास के बाद अपने राज्‍य में वापस लौटने की स्‍मृति में मनाया जाता है।  भारत के सभी त्‍यौहारों में सबसे सुन्‍दर दीवाली प्रकाशोत्‍सव है।  यह त्‍यौहार नए वस्‍त्रों, दर्शनीय आतिशबाजी और परिवार व मित्रों के साथ विभिन्‍न प्रकार की मिठाइयों के साथ मनाया जाता है।

भगवती लक्ष्‍मी (विष्‍णु की पत्‍नी), जो कि धन और समृद्धि की प्रतीक हैं, उन्‍हीं की इस दिन पूजा की जाती है। पश्चिमी बंगाल में यह त्‍यौहार काली पूजा के रूप में मनाया जाता है। काली जो शिवजी की पत्‍नी हैं, की पूजा दीवाली के अवसर पर की जाती  

गुरू नानक जयन्‍ती, 10 सिक्‍ख गुरूओं के गुरू पर्वों या जयन्तियों में सर्वप्रथम है। यह सिक्‍ख पंथ के संस्‍थापक गुरू नानक देव, जिन्‍होंने धर्म में एक नई लहर की घोषणा की, की जयन्‍ती है। 10 गुरूओं में सर्व प्रथम गुरू नानक का जन्‍म 1469 में लाहौर के निकट तलवंडी में हुआ था। समाज में कई धर्मों के चलन व विभिन्‍न देवताओं को स्‍वीकार करने के प्रति अरुचि ने व्‍यापक यात्रा किए हुए नेता को धार्मिक विविधता के बंधन से मुक्‍त होने, तथा एक प्रभु जो कि शाश्‍वत सत्‍य है के आधार पर धर्म स्‍थापना करने की प्रेरणा दी। गुरू नानक जयन्‍ती के त्‍यौ‍हार में, तीन दिन का अखण्‍ड पाठ, जिसमें सिक्‍खों की धर्म पुस्‍तक "गुरू ग्रंथ साहिब" का पूरा पाठ बिना रुके किया जाता है, शामिल है।

रामनवमी राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम की स्‍मृति को समर्पित है। उसे "मर्यादा पुरूषोतम" कहा जाता है तथा वह सदाचार का प्रतीक है। यह त्‍यौहार शुक्‍ल पक्ष की 9वीं तिथि जो अप्रैल में किसी समय आती है, को राम के जन्‍म दिन की स्‍मृति में मनाया जाता है। भगवान राम को उनके सुख-समृद्धि पूर्ण व सदाचार युक्‍त शासन के लिए याद किया जाता है। उन्‍हें भगवान विष्‍णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्‍वी पर अजेय रावण (मनुष्‍य रूप में असुर राजा) से युद्ध लड़ने के लिए आए। राम राज्‍य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है।

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