हमारे संविधान में प्रयुक्त निदेशक सिद्धांत ' शब्द से आप क्या समझते हैं ? चर्चा कीजिए ।
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Answers
निदेशक सिद्धान्त से तात्पर्य किसी नीति के निर्माण में मार्गदर्शक से हैं। ये सिद्धान्त कल्याणकारी राज्य की स्थापना में सहायक हैं। ये वे आदर्श है, जो समाज के आर्थिक एंव सामाजिक कल्याण हेतु पूरे किये जाने चाहिये। संविधान निर्माताओं ने यह अपेक्षा की थी कि सरकार इन नीति निर्देशक सिद्धान्तों को मद्देनजर रखते हुए अपनी नीतियों का निर्माण करेंगी जिससे देश का सम्पूर्ण विकास होगा।
नीति निर्देशक सिद्धान्त न्यायालय द्वारा प्रर्वतनीय एंव बाध्यकारी (वाद योग्य) नहीं हैं। इन्हें क्रियान्वित कराने हेतु न्यायालय की शरण नहीं ली जा सकती।
उत्तर : हमारे संविधान में प्रयुक्त राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत की इस उक्ति से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी कानून या विधि को बनाते समय या लागू करते समय इन सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाएगा। इन सिद्धांतों का उद्देश्य एक लोक कल्याणी राज्य की स्थापना करना है।
यह राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं।
यद्यपि निदेशक सिद्धांत गैर न्यायोचित हैं तथापि संविधान के अनुच्छेद 31 (ग) में यह बताया गया है कि यदि राज्य विधान मंडल द्वारा राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के संबंध में कोई कानून बनाया जाए जिसमें निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 39 (ख) या 39 (ग) का समावेश हो तो उसे किसी भी आधार पर या चुनौती नहीं दी जा सकती कि वह अनुच्छेद 14 या अनुच्छेद 19 के द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है