Hindi, asked by sadhanagautami123, 4 months ago

हमारे समाज को पुरुष प्रधान समाज क्यों कहा जाता है​

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Answered by saurya148
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केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के बीएड विभाग और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से सोमवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका विषय था- लिंग पूर्वाग्रह और रूढ़िवादिता, लैंगिक समानता और महिलाओं का अधिकार। इसमें बतौर मुख्य अतिथि झारखण्ड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू थीं।राज्यपाल ने कहा कि कोई भी समाज महिलाओं की उपेक्षा करके आगे नही बढ़ सकता है। महिलाओं की भागीदारी के बिना विकास की कल्पना उसी तरह करना है, जिस प्रकार किसी पक्षी के एक पंख से उड़ान भरने की कल्पना करना है। अमूमन भारतीय समाज को एक पुरुष प्रधान समाज मन जाता है, इस आवधारणा को बदलना होगा। समाज में महिलाओं के साथ होने वाले अप्रिय घटनाओं पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि हमें लोगों को सदाचार, नैतिकता व मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूक होने करने के लिए प्रयास करने होंगे। एसएनडीटी विश्यविद्यालय, मुंबई की कुलपति प्रो शशिकला वंजारी ने कहा कि सशक्तीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें महिलाओं के भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सकता है। शिक्षित होने पर ही महिलाएं अपने आकलन के अनुसार समस्याओं के निदान में आपनी भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने शिक्षा जगत में हंसा मेहता, सावित्री बाई फूले, ज्योति बाई फुले, रमा बाई रानाडे आदि के योगदान को भी याद किया।एनयूएसआरएल, रांची की डीन डॉ संगीता लाहा ने भारतीय कानून के संदर्भ में महिलाओं की स्थिति की समीक्षा करते हुए यह कहा कि 1956 से ही हमारे देश में महिला अधिकारों से संबंधित अनेक कानून बनाए गए, जिनमें हिन्दू विवाह अधिनियम, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, हिन्दू द्त्तक ग्रहण एवं रख रखाव अधिनियम आदि महत्वपूर्ण हैं। इस अधिनियमों को अमल में लाने के लिए समाज का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने उन्होंने रजिस्ट्रेशन ऑफ मैरिज ऑफ एनआरआई हस्बैंड बिल- 2019 को यथाशीघ्र लोक सभा और राज्य सभा से अनुमोदित किए जाने पर बल दिया, जिससे कि लड़कियों को शादी के धोखे से सुरक्षित रखा जा सके।भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, सोनीपत की कुलपति प्रो सुषमा यादव ने कहा कि जब से मानव ने यह मान लिया कि युद्ध

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