हमारे समाज में अब तक महिला सशक्तीकरण के लिए किये गये प्रयास असफल क्यों हो रहे हैं?
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क्योंकि इतिहास की किताबों में, महिलाओं को आमतौर पर घरेलू नौकरों के रूप में चित्रित किया जाता है, जबकि पुरुषों को आम तौर पर रोटी कमाने वाले के रूप में दिखाया जाता है
Explanation:
- समाज में महिलाओं को घरेलू नौकरों के रूप में व्यवहार करने का इतिहास रहा है जबकि पुरुषों को दास जैसी भूमिकाओं के लिए आरोपित किया गया है। इससे यह धारणा पैदा हुई है कि महिलाएं हमारे समाज में सफलता हासिल करने में सक्षम नहीं हैं।
- नतीजतन, महिलाओं को उचित व्यापार, राजनीतिक प्रभाव, लाभ आदि नहीं मिलता है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि महिलाएं श्रम में योगदान करती हैं, तो भारत की विकास दर काफी अधिक होगी।
- भारत की आधी आबादी महिलाओं की है, इसलिए इसका देश की विकास दर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह अभी भी दर्द होता है। यह तो सौभाग्य की बात है कि कुछ लोग ही महिलाओं को रोजगार देने की बात करते हैं
- "महिला सशक्तिकरण से" यानी महिलाओं की आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक शक्ति को बढ़ाना।शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला और संस्कृति और विभिन्न सेवा क्षेत्रों में कई महिलाएं उत्कृष्ट हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी महिलाएं प्रगति कर रही हैं। भारत का संविधान सभी भारतीय महिलाओं के लिए समान अधिकारों और अवसरों की गारंटी देता है।
- महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। लक्ष्य है कि सभी को रोजगार, शिक्षा, आर्थिक अवसर और सामाजिक स्वतंत्रता तक समान पहुंच प्राप्त हो ताकि सभी को समान स्तर की सामाजिक प्रगति प्राप्त हो सके। इस तरह महिलाएं भी पुरुषों की तरह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती हैं।
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