हमारे समाज में हथियों क्यों हो रही है
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महाद्वीप हाथियों के प्रतीक के रूप में पर्यटन मैग्नेट हैं, धन को आकर्षित करते हैं जो जंगल क्षेत्रों की रक्षा करने में मदद करते हैं। वे कीस्टोन प्रजातियां भी हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र की जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। शुष्क मौसम के दौरान, हाथी पानी के लिए खुदाई करने के लिए अपने तुस्क का उपयोग करते हैं।
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युद्ध केवल सम्मान, सुरक्षा और अस्मिता के लिए ही नहीं लड़े जाते हैं. युद्ध व्यापार, उद्योगों और मुनाफे के लिए ज्यादा रचे जाते हैं. अमेरिका ने वर्ष 2011 में बजट कंट्रोल एक्ट पारित किया था, जिसके मुताबिक सेनाओं का खर्चा 549 बिलियन से ज्यादा नहीं किया जाएगा. लेकिन वर्ष 2018 के अमेरिकी कांग्रेस ने नेशनल डिफेन्स ऑथराईजेशन एक्ट पारित कर दिया और राष्ट्रपति ट्रंप ने उस पर हस्ताक्षर भी कर दिए. इसके मुताबिक साल का सेना का व्यय 700 बिलियन डालर होगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तो केवल सेना का खर्च है, जबकि बहुत सारा व्यय रक्षा विभाग के बाहर भी होता है. इस मान से अमेरिका लगभग 1000 बिलियन डालर यानी 6500 अरब रुपए खर्च करेगा.
अपन पिछले कई महीनों से राष्ट्रपति ट्रंप (अमेरिका) और राष्ट्रपति किम जोंग उन (उत्तर कोरिया) के बीच वाक् युद्ध सुन-समझ रहे हैं. कोई तो था, जो युद्ध चाहता था. भाषा ही ऐसी थी, कि युद्ध छिड़ जाए. उत्तर कोरिया भी दबने को तैयार नहीं है. युद्ध होगा तो हथियार बिकेंगे और युद्धों पर किया गया खर्चा सही मान लिया जाएगा. दुनिया भर में फैली गरीबी खत्म करने की कोशिशों में नाकामी को स्वीकार कर लिया जाएगा, क्योंकि युद्ध जरूरी था. उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया साथ नहीं आते हैं, किन्तु फ़रवरी 2018 में सियोल में चल रहे शीत ओलम्पिक में उम्मीद के विपरीत उत्तर कोरिया ने अपनी टीम भेजी और उस टीम के साथ राष्ट्रपति किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग आयीं. उन्होंने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन से मुलाक़ात की और संवाद के लिए प्योंगयांग आमंत्रित किया. अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस समारोह के उदघाटन के लिए सियोल में थी, पर उत्तर कोरिया के प्रतिनिधि को देख असहज भी थे. इतना उल्लेख इसलिए क्योंकि युद्ध टल रहा है, ऐसा युद्ध जो सत्ता और मुनाफे के लिए लड़ा जाएगा. संवाद की संभावना बन रही है, जब संवाद होगा तो युद्ध की आशंका खत्म हो सकती है. याद रखिये कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पहले हथियार और युद्ध सामग्री बेंचने के लिए युद्ध करवाती है. युद्ध से विनाश होता है, फिर विकास के लिए क़र्ज़ देती है, तकनीक बेंचती है और युद्ध प्रभावित देशों की राजनीति-नीतियों पर कब्ज़ा कर लेती है.