हमारे समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव की भावना क्या प्रदर्शित करती है
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हमारे समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव की भावना लैंगिक असमानता और पितृसत्तात्मक सोच को प्रदर्शित करती है।
पितृसत्तात्मक सोच वो सोच होती है, जिसमें पुरुषों का वर्चस्व होता है, और समाज एक अधिकतर अधिकार पुरुषों को ही दे दिये जाते हैं, जिसमें लड़कियों को कमतर आंका जाता है और समाज के बहुत से कार्य केवल पुरुषों के वर्चस्व वाले समझ लिए जाते हैं। ये मान लिया जाता है कि महिलाएं वैसा कार्य नहीं कर सकती।
लड़कियों को शुरू से भेदभाव का सामना करना पड़ता है और इस कारण उनका पालन पोषण लड़कों के समान नहीं किया जाता। लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव के पीछे पूरी समाजीकरण की प्रक्रिया होती है, जिसमें लड़के लड़की का अलग-अलग ढंग से पालन पोषण किया जाता है जहां लड़कियों को धन कमाने की दृष्टि से अनुत्पादक समझ कर उन्हें केवल घरेलू कामकाज तक ही सीमित कर दिया जाता है, जबकि लड़कों को कमाऊ व्यक्ति के रूप में जानकार उनका पालन-पोषण अच्छी तरह किया जाता है।
हमारे समाज में लिंगात्मक भेद काफी समय से चला आ रहा है, जो समाज में धीरे-धीरे बढ़ता गया। हालांकि प्राचीन समय से यह भेद-भाव इतना नही था। लेकिन जैसे-जैसे समाजीकरण की प्रक्रिया होती गई समाज में बदलाव आते गए और पुरुष सत्तात्मक सोच हावी होती गई, वैसे-वैसे लड़कियों के प्रति भेदभाव बढ़ता गया।
हालांकि आज समाज पुनः एक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें लड़कियों को भी और लड़कों के समान अवसर दिए जा रहे हैं और उन्हें लड़कों के समान ही समझा जा रहा है, लेकिन इस विषय में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
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