हमारे शरीर में रक्त कणों का निर्माण कैसे होता है?
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Answer:
मॉडर्न मेडिसिन के मुताबिक रक्त का निर्माण अस्थि मज्जा से होता है। वहीं आयुर्वेद में यकृत और प्लीहा द्वारा इसके निमार्ण की बात उल्लिखित है। बीएचयू व संस्कृत विवि की संयुक्त टीम के शोध निष्कर्षों के मुताबिक रंजक पित्त अमाशय, यकृत और प्लीहा में होता है, जिसका मुख्य कार्य रक्त धातु को रंग प्रदान करना है।
Answer:
मज्जा या मेरु हड्डियों के अन्दर भरा हुआ एक मुलायम ऊतक होता है। वयस्कों में बड़ी अस्थियों में मज्जा रक्त कोशिकाएं निर्माण करने में सहायक होता है। इसमें कुल शरीर भार का ४%[1] समाहित रहता है, यानि लगभग २.६ कि.ग्रा, वयस्कों में।
Explanation:
लहू या रुधिर या खून(Blood) एक शारीरिक तरल (द्रव) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कणिका, श्वेत रक्त कणिका और प्लैटलैट्स। लाल रक्त कणिका श्वसन अंगों से आक्सीजन ले कर सारे शरीर में पहुंचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पता (अनिमिया) का रोग हो जाता है।
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