हमारे देश में कितनी ऋतुएँ पाई जाती हैं ? किसी एक ऋतु का सविस्तार वर्णन
कीजिए।
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भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु पायी जाती है। "मानसून" शब्द अरबी शब्द "मौसिम" से बना है, जिसका अर्थ होता है-‘हवा की दिशा में मौसमी परिवर्तन’। भारत का मौसम/ऋतु दो प्रकार की हवाओं से प्रभावित होता हैं– अरब सागर से आने वाली हवाओं से और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं से । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भारत की जलवायु को निम्नलिखित चार ऋतुओं में बाँटा है– शीत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद ऋतु |
शीत ऋतु
शीत ऋतु उत्तरी भारत में नवंबर के मध्य से शुरु होकर फरवरी के महीने तक रहती है। शीत ऋतु में तापमान दक्षिण से उत्तर की तरफ बढ़ने के साथ कम होने लगता है। इस ऋतु में पूर्वी तट पर औसत तापमान 24° से 25° सेल्सियस जबकि उत्तर के मैदानी इलाकों में 10°–15° सेल्सियस के बीच रहता है। दिन अपेक्षाकृत गर्म रहते हैं और रातें अपेक्षाकृत ठंडी होती हैं। शीत ऋतु में उत्तरी इलाकों में कोहरा और हिमालय की ऊपरी ढालों पर बर्फबारी सामान्य बात होती है।
ग्रीष्म ऋतु
ग्रीष्म ऋतु मार्च से शुरु होती है और जून-जुलाई तक रहती है। इस समय ‘ग्रीष्म संक्रांति’ (Summer Solistice) के कारण सम्पूर्ण भारत तापमान में वृद्धि का अनुभव करता है। इस मौसम में भारत के उत्तर और उत्तर– पश्चिम भाग में दिन के समय बेहद गर्म हवाएं चलती हैं, जिन्हें ‘लू’ कहा जाता है। इस मौसम में चूंकि सूर्य का उत्तरायण हो जाता है और अंतरा–उष्णकटिबंधीय कन्वर्जेंस जोन (आईटीसीजेड) उत्तर की ओर बढ़ना शुरु कर देता है और जुलाई में 250 उ. अक्षांश के ऊपर स्थित हो जाता है।
नॉरवेस्टर– पूर्वी भारत अर्थात पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडीशा (यह चाय और चावल की खेती के लिए उपयोगी है)।
कालबैशाखी– पश्चिम बंगाल ( स्थानीय भाषा में नॉरवेस्टर को कालबैशाखी कहते हैं)।
चेरी ब्लासम– कर्नाटक और केरल ( यह कॉफी के फूल के खिलने में उपयोगी है)।
आम्र वर्षा – दक्षिण भारत ( यह आमों के समय से पहले पकने के लिए उपयोगी है)
बोर्डोचिल्ला– असम ( स्थानीय भाषा में नॉरवेस्टर को बोर्डोचिल्ला कहा जाता है) ।
वर्षा ऋतु
शरद ऋतु
शरद ऋतु वर्षा ऋतु के बाद अक्टूबर से शुरु होकर दिसंबर की शुरुआत तक रहती है। दक्षिण–पश्चिम मॉनसून के धीरे– धीरे भारत से वापस जाने की वजह से इसे अक्सर ‘मॉनसून निवर्तन (Retreating) की ऋतु’ कहा जाता है। इस मौसम में उत्तरी भारत में वर्षा नहीं होतीहै, लेकिन बंगाल की खाड़ी में कई चक्रवात पैदा होते हैं जो पूर्वी तट के साथ उत्तर– पश्चिम से उत्तर– पूर्व की ओर बढ़ते हैं और तमिलनाडु के तट एवं श्रीलंका में वर्षा करते हैं।