हमारा देश सदैव से प्रसिद्ध रहा है यहां पर समय-समय पर महापुरुष का जन्म होता रहा है स्वामी दयानंद भी उन महापुरुष में से एक हैं उनका बचपन का नाम mulshankar था इनके पिता का नाम अंबा शक्कर था जब स्वामी जी 14 वर्ष के थे तब एक साधारण घटना ने उनके जीवन का गहरा प्रभाव डाला शिवरात्रि का त्योहार था स्वामी जी अपने पिता के साथ मंदिर को गए वहां पर उन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शिव की पूर्ति शिव की मूर्ति पर चढ़कर चढ़ाई हुई घास खा रहा है और इधर उधर दौड़ रहा है उनके मन में एक विचार आया जो मूर्ति अपनी रक्षा नहीं कर सकती वह भगवान का प्रतीक नहीं हो सकती| उन्हें मूर्ति पूजा से घृणा हो गई |
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महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक, तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' ईश्वर भक्त (आज्ञा पालक) थे, उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वंत्रता दिलाने के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक चिंतक थे।
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