हमीरपुर में प्रेमचंद के साथ क्या हुआ?
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साल 1910 में उनकी रचना 'सोजे-वतन' (राष्ट्र का विलाप) के लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने उन्हें तलब किया और उन पर जनता को भड़काने का गंभीर आरोप लगाया गया। यही नहीं, सोजे-वतन की सभी प्रतियां जब्त करके नष्ट कर दी गईं।
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साल 1910 में उनकी रचना 'सोजे-वतन' (राष्ट्र का विलाप) के लिए हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने उन्हें तलब किया और उन पर जनता को भड़काने का गंभीर आरोप लगाया गया। यही नहीं, सोजे-वतन की सभी प्रतियां जब्त करके नष्ट कर दी गईं।
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