हमें स्वराज्य अवश्य मिला परन्तु सुराज आज भी हमसे दूर है। कारण स्पष्ट है, देश को समृद्ध बनाने उद्देश्य से कठोर परिश्रम करना न हम ने सीखा है, न सीखने के लिए ईमानदारी से उस04ओर उन्मुख ही है। श्रम का महत्व न हो हम जानते है, न मानते है। हमारी नस-नस में आराम तलब समाई है। हाथ से काम करने को हीनता समझते है। काचोरी के हमारा नाता घना है। कम से कम काम करके अधिक से अधिक दाम पाने की दूषित मनोवृ
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हमें स्वराज्य अवश्य मिला परन्तु सुराज आज भी हमसे दूर है। कारण स्पष्ट है, देश को समृद्ध बनाने उद्देश्य से कठोर परिश्रम करना न हम ने सीखा है, न सीखने के लिए ईमानदारी से उस04ओर उन्मुख ही है। श्रम का महत्व न हो हम जानते है, न मानते है। हमारी नस-नस में आराम तलब समाई है। हाथ से काम करने को हीनता समझते है। काचोरी के हमारा नाता घना है। कम से कम काम करके अधिक से अधिक दाम पाने की दूषित मनोवृ
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