हमें स्वराज्य अवश्य मिला परन्तु सुराज आज भी हमसे दूर है।बनाने उद्देश्य से कंठोर परिश्रम करना न हम ने सीखा है, न रओर उन्मुख ही है। श्रम का महत्व न हो हम जानते है, न मानतेसमाई है। हाथ से काम करने को हीनता समझते है। काचोरी केकाम करके अधिक से अधिक दाम पाने की दूषित मनोवृति राष्ट्रप्र01 उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।प्र02 'सुराज ' हमसे दूर क्यों है ?लेखक ने किस दूषित
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गद्यांश का उचित शीर्षक श्रम का महत्व
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