हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जन्मे हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम।
पले हुए हैं झूल-झूल कर
पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
रंग रंग के रूप हमारे
अलग-अलग हैं क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब
रहते नीचे एक गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उसकी कली खिलाती,
एक हमारा चाँद- चाँदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एक से स्वर हमको हैं,
भ्रमरों के मीठे गुंजन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
काँटों में मिलकर हम सबने
हँस-हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बंधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगंध हमारी
हम शृंगार धनी निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
-द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी read it and answer question-वर्य के ककतने भेद होते हैं? नाम त्रित्रखए l
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Explanation:
ek hmari drthi sbki jiski mitti m jnme hm mili ek hi dhoop hme h siche gye ek jal se hi
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