'हम समाज के लिए समाज हमारे लिए ' विषय पर अपने विचार लिखिए।
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आचार्य देवेंद्रसागर ने आडुगोडी तेरापंथ भवन में आयोजित धर्मसभा में कहा कि हमारा समाज के प्रति दायित्व उसी तरह है जैसा कि हमारा अपने परिवार के प्रति होता है। हम जिस परिवार में जन्म लेते हैं जिस परिवार में रहते हैं, उस परिवार अर्थात उस परिवार सदस्यों के प्रति हमारा कुछ दायित्व बनता है।
चाहे वह माता-पिता हो, पत्नी, भाई-बहन या पुत्र-पुत्री आदि हों। आचार्य ने कहा कि समाज भी हमारे परिवार की तरह होता है। जब हम किसी समाज में जन्म लेते हैं तो स्वत: ही हमें कुछ अधिकार प्राप्त हो जाते हैं। समाज हमें संस्कार देता है। जीवन जीने की शैली सिखाता है।
कुल मिलाकर समाज हमें असभ्य नागरिक से सभ्य नागरिक बनाता है, वरना हम जब इस दुनिया में आते हैं तो क्या होते हैं। समाज में रहकर ही तो हम मानव से सभ्य मानव बनते हैं। हमारा ये परम कर्तव्य है कि समाज के प्रति अपने दायित्व को पूरी तरह से निभाएं।
हमें जो कुछ समाज से मिला है वह समाज को लौटाएं। हम जो कुछ भी बनते हैं उसमें जितना योगदान हमारे परिश्रम का होता है उतना ही हमारे सामाजिक ढांचे का होता है। इसलिए समाज से हमें जो कुछ मिला है, उसे लौटाना हम सबका दायित्व है।
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