"हम समिति के सदस्य होते हैं, संस्था के नहीं।" यह कथन किस विद्वान का है?
(अ) गिन्सबर्ग
(ब) मैकाइवर एवं पेज
(स) बोगार्डस
(द) पारसंस।
Answers
सही (✓) विकल्प होगा...
✔ (ब) मैकाइवर एवं पेज
स्पष्टीकरण ⦂
✎... हम समिति के सदस्य होते हैं, संस्थाओं के नहीं। यह कथन ‘मैकाइवर और पेज’ ने कहा था।
मैकाइवर एवं पेज के अनुसार समिति से मनुष्यों के एक संगठित समूह का बोध होता है, जबकि संस्था से एक कार्य प्रणाली का बोध होता है। उनके अनुसार विद्यालय, परिवार, धार्मिक संगठन, राजनीतिक दल आदि व्यक्तियों के समूह के रूप में समितियां हैं तथा नियमों, विधि-विधान और कार्य-प्रणालियों के रूप में संस्थाएं हैं।
जब कोई समिति बनाई जाती है तो उसके कार्य संचालन के लिए कुछ नियम और विधि विधान तथा कार्य प्रणाली आदि भी विकसित की जाती हैं। फिर वह समिति संस्था के नाम से जानी जाती है।
मैकाइवर और पेज के मतानुसार यदि किसी व्यवस्था पर संगठित समूह के रूप में विचार करते हैं, तो वह एक समिति है और यदि कार्य प्रणाली के रूप में विचार करते हैं, तो वह एक संस्था है। कार्य समिति से सदस्यता का पता चलता है और संस्था से कार्य प्रणाली के तरीके का पता चलता है।
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