हमेशा अपने आप को दूसरों की जगह रख के देखो। यदि कोई बात स्वयं को दुख पहुंचाता है, तो
निश्चित ही वह बात दूसरों को भी दुखी कर सकती है। इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए
250 शब्दों में निबन्ध लिखिए।
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अक्सर ऐसा होता है की दूसरे लोगों की बातों का हमें बहुत बुरा लगता है और हम यह सोचते हैं की हमने तो ऐसा कुछ नहीं किया तो ये मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहा है या रही है। परंतु यह ज़रूरी नहीं की जिस बात से हमें बुरा लगता हो, उसी बात से दूसरे भी आहत हों।
ऐसी अनेकों बातें होती हैं, जो हमें खुद सही लगती हैं परंतु हो सकता है की वही बातें किसी और को अच्छी ना लगे। हम किसीको कोई बात कहते समय खुद तो सोचते नहीं परंतु दूसरों से अपेक्षा रखते हैं की वह हमारे साथ ढंग से पेश आएं। अगर खुद को दुख ना चाहते हों तो दूसरों को भी कोई बात कहने से पहले यह सोच लेना चाहिए की अगर हम उनकी स्तिथि में होते तो यह बात हमें पसंद आती या नहीं।
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