हमें श्रेष्ट व्यक्तियों की संगति में
क्यों रहना चाहिए ?
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उत्तर :
- मनुष्य के चरित्र निर्माण में संगति का बहुत प्रभाव पड़ता है।
मनुष्य को सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए। अच्छी या बुरी संगति का असर व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। गलत लोगों की संगत करने पर कुछ समय के लिए तो सुख मिलता है लेकिन बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह बात खनैताधाम में आयोजित हो रही भागवतकथा के पहले दिन खनैता महंत रामभूषणदास महाराज ने कही। साथ ही भागवकथा के शुभारंभ से पहले कथावाचक द्वारा गणेश भगवान का विधि-विधान से पूजन कर गांव के प्रमुख मार्गों पर होते हुए श्रद्धालुओं द्वारा कलश यात्रा निकली गई।
उन्होंने कहा कि अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के साथ उनके परिवार को भी नुकसान, अपमान झेलना पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति जैसा कार्य करता है उसको वैसे ही फल की प्राप्ति होती है। राजा कंस ने श्रीकृष्ण को मारने हेतु कई प्रयास किए थे परंतु अंत में उसको मृत्यु प्राप्त हुई थी। इसके साथ ही आय से अधिक खर्च अौर दान देने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जो व्यक्ति अपनी आय से अधिक धन व्यय करते हैं अर्थात फिजूलखर्च करते हैं उनके पूरे परिवार को मुश्किलें झेलनी पड़ती है। व्यक्ति को अपनी समर्था के अनुसार दान करना चाहिए।
वहीं मेहगांव क्षेत्र के गहेली गांव में स्थित सिद्ध बाबा स्थान पर आयोजित हो रही भागवकथा के दौरान कथावाचक प्रेमनारायण शास्त्री ने श्रद्धालुओं से कहा कि संसार में जब कोई बुरे कर्म करने वाले मनुष्य की मृत्यु होती है, तो उसकी दुर्गति उसके मरने के बाद भी होती है। क्योंकि उसके जाने के बाद भी लोग उसकी बुराई करते हैं। इसलिए व्यक्ति को सदैव जीवन में अच्छे और दूसरों की भलाई वाले काम करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख और शांति मिलती है। इस अमूल्य जीवन को भगवान की भक्ति से सार्थक करें।