हम तौ एक एक करि जाना।
दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां ।।
एकै पवन एक ही पानी एकै जोति समाना।
एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै कोहरा सांनां।।
जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटे कोई।
सब घटि अंतरि तूंही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
माया देखि के जगत लुभांना काहे रे नर गरबांनां।
निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवाना।। ka bhav saundary aur shilp saundary
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hiiii please follow me
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