हम तो एक एक करि जाना।
दोइ कहैं तिनही कौँ दो जग नाहिंन पहिचांना।।
एकै पवन एक ही पानी एकै जोति समाना।
एकै खाक गढे सब भाई, एकै कोहरा साना।।
जैसे बाढी काठ ही काटें, अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूं ही व्यापक, धरै सरूपै सोई।।
माया देखि के जगत लुभाना, काहे रे नर गरबांनां ।
निरभै भया कछू नहिं ब्यापैं, कहै कबीर दिवानां ।।
क. प्रस्तुत पंक्तियों की भाषागत विशेषताएँ लिखिए।
ख. कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होनें क्या तर्क दिए?
ग. कबीर ईश्वर का दीवाना कैसे हो गया है?
घ. संसार नश्वर है परंतु आत्मा अमर है- स्पष्ट कीजिए।
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