Hindi, asked by mdyaseenkhan3151, 7 months ago

हम तो एक एक करि जाना
दोई कहे तिनही कौं दोजग जिन नाहिन पहिचाना
एकै पवन एक ही पानी एकै जोति समाना
एकै खाक गढ़े सब भाड़े एकै कोहरा सानां ।
उपर्युक्त पद्यांश की व्याख्या कीजिए।
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Answered by RatanjotSingh
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Answer:

जीवन परिचय: कबीरदास का नाम संत कवियों में सर्वोपरि है। इनके जन्म और मृत्यु के बारे में अनेक किवदंतियाँ प्रचलित हैं। इनका जन्म 1398 ई में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के लहरतारा नामक स्थान पर हुआ। कबीरदास ने स्वयं को काशी का जुलाहा कहा है। इनके विधिवत् साक्षर होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता। ये स्वयं कहते हैं- “ससि कागद छुयो नहि कलम गहि नहि हाथ।”

इन्होंने देशाटन और सत्संग से ज्ञान प्राप्त किया। किताबी ज्ञान के स्थान पर आँखों देखे सत्य और अनुभव को प्रमुखता दी-‘‘में कहता हों आँखन देखी, तू कहता कागद की लखी।” इनका देहावसान 1518 ई में बस्ती के निकट मगहर में हुआ।

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