हम दीवानों की क्या हस्ती,
है आज यहाँ कल वहाँचले,
मस्ती का आलम साथ चला
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।
आए बनकर उल्लास अभी,
आंसू बनकर वह चले अभी,
सब कहते हीरह गए,अरे,
तुम कैसे आए,कहाँ चले?
इस कविता के शीर्षक का नाम बताइए ?
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दीवानों की हस्ती
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