हमें विषम स्थितियों का सामना किस प्रकार करना चाहिए
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Explanation:
सबसे पहले तो मैं यही कामना करुँगी कि भगवान् न करे किसी विषम परिस्थिति आए।
स्थिति आए।हाँ मैं थोड़ी सी परेशान हो जाती हूँ, जो कि यहां वाले सभी कहेंगें कि वो नहीं घबराते। मैं घबरा जाती हूँ थोड़ी सी। लेकिन अपने ऊपर हावी नहीं होने देती। कोई ऐसी परिस्तिथि होती है तो घबराहट किसे नहीं होती, मुझे लगता है हर किसी को होती है। मैं फिर समय देती हूँ खुद को, उस पल मेरे दिमाग में उथल-पुथल बहुत चलती है। किसलिए? वो इसलिए कि इस परिस्तिथि से कैसे बाहर निकला जाए। क्योंकि मैं जानती हूँ समय एक सा नहीं रहता। आज ये परिस्तिथि मुझ पर आई है तो जरूर इसके पीछे कुछ कारण छुपा है। उस भगवान् पर भरोसा है कि वो मेरे साथ खड़ा है और वो कुछ भी गलत नहीं होने देगा। अपने पर और उस खुदा पर विश्वास बनाए रखों तो हर परिस्तिथि से निकल रखने में हम सक्षम हो जाते हैं। आप ऐसे में जो सम्भव प्रयास करते हैं ताकि उस विषम परिस्तिथि से निकला जा सके। बस हम भी अपनी पूरी कोशिश करते हैं और धैर्य रखते हैं।
सबसे पहले तो मैं यही कामना करुँगी कि भगवान् न करे किसी विषम परिस्थिति आए।
स्थिति आए।हाँ मैं थोड़ी सी परेशान हो जाती हूँ, जो कि यहां वाले सभी कहेंगें कि वो नहीं घबराते। मैं घबरा जाती हूँ थोड़ी सी। लेकिन अपने ऊपर हावी नहीं होने देती। कोई ऐसी परिस्तिथि होती है तो घबराहट किसे नहीं होती, मुझे लगता है हर किसी को होती है। मैं फिर समय देती हूँ खुद को, उस पल मेरे दिमाग में उथल-पुथल बहुत चलती है। किसलिए? वो इसलिए कि इस परिस्तिथि से कैसे बाहर निकला जाए। क्योंकि मैं जानती हूँ समय एक सा नहीं रहता। आज ये परिस्तिथि मुझ पर आई है तो जरूर इसके पीछे कुछ कारण छुपा है। उस भगवान् पर भरोसा है कि वो मेरे साथ खड़ा है और वो कुछ भी गलत नहीं होने देगा। अपने पर और उस खुदा पर विश्वास बनाए रखों तो हर परिस्तिथि से निकल रखने में हम सक्षम हो जाते हैं। आप ऐसे में जो सम्भव प्रयास करते हैं ताकि उस विषम परिस्तिथि से निकला जा सके। बस हम भी अपनी पूरी कोशिश करते हैं और धैर्य रखते हैं।