Hindi, asked by specialboy1, 3 months ago

हमको भाई भाई का करना उपकार नही क्या होगा, भाई पर भाई कुछ अधिकार नही क्या होगा |

इस पत्तीसे मिलने वाला संदेश लिखिए​

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Answered by ak9900975
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Answer:

माँ बाप की बेवकूफी की वजह से भाई-भाई दुश्मन बन जाते हैं।

- माँ बाप का किसी एक बेटे के प्रति ज्यादा झुकाव रखना

- अपने ही बेटों में अधिक कमाने वाले को ज्यादा मान देना, कम कमाने वाले को ताना देना

- अपने ही बेटों की पत्नियों अर्थात बहुओं में भेद करना

- शहरी बहु को ज्यादा मान और ग्रामीण बहु को तिरस्कार

- अपने बेटों के बच्चों में अर्थात पोता-पोती में भी भेद रखना

- एक बेटे के बच्चे को ज्यादा प्यार और दूसरे के बच्चों में नुक्स

- समय रहते बेटों के अधिकारों व संपत्ति का बंटवारा ना करना

- बंटवारे में भी दोहरा नजरिया रखना

- एक बेटे से हर वक्त पैसे की मांग करना और दूसरे से कुछ ना मांगना

- अपने बेटों की आर्थिक स्थिति व उनकी इच्छाओं को ना समझना

मैंने देखा है की घर के माँ बाप अपना सारा पैसा एक ही मकान को सजाने सँवारने में खर्च करने लगते हैं जबकि उन्हें अपने बच्चों के हिसाब से अलग अलग व्यवस्था रखनी चाहिए। बुढ़ापे में जब माँ बाप बूढ़े हो जाते हैं और बच्चे जवान, शादीशुदा हो जाते हैं तब संपत्ति बंटवारा बेहद पेचीदा हो जाता है क्योंकि सारा धन केवल एक मकान में ही लगा दिया गया होता है। बड़े होते बच्चों के लिए एक समय के बाद माँ बाप उनके लिए अलग-अलग सोचें तो उत्तम होगा।

माँ बाप की भी ज़िद्द रहती है की बेटे रहेंगे तो साथ ही रहेंगे अन्यथा नहीं। जबकि यह बात गलत है; कौन कहाँ नौकरी कर रहा है और किसके भविष्य की क्या जरूरत है उसके हिसाब से ही फैसला करना चाहिए। संबंधों का निर्वाह अलग रहकर भी किया जा सकता है, अलग रहना कोई पाप नहीं होता। हर समय संयुक्त परिवार के लिए अपने बच्चों पर ज्यादा दबाव नहीं बनाना चाहिए।

अलग अलग परिवार होने से बच्चे अपनी क्षमता से अपने परिवार का निर्वाह स्वतः करते हैं; जबकि संयुक्त परिवार में सारा परिवार एक अच्छे कमाऊ व्यक्ति पर ही आ टिकता है।

सास ससुर हर समय अपनी बहुओं को तुलनात्मक दृष्टि से ही देखते हैं जैसे - बड़ी बहु-छोटी बहु, मोटी-पतली, नाटी-लम्बी, सांवली-गोरी, पढ़ी लिखी-कम पढ़ी लिखी, ज्यादा सुन्दर-कम सुन्दर, दहेज़ लेकर आने वाली-बिना दहेज़ वाली, कमाने वाली-न कमाने वाली। यह नजरिया भी परिवार विखंडन का कारण होता है।

इसके अतिरिक्त यदि सास ससुर के पास ज्यादा संपत्ति है तो कोई विशेष बेटा या बहु सास ससुर की ज्यादा खातिर करते देखे जा सकते हैं; जबकि एक बहु ज्यादा आत्म सम्मान वाली हो सकती है जिसे खातिरदारी के नाम पर चापलूसी या चुगली करना ना आता हो। हमारे समाज में ज्यादा खातिरदारी करने वाली बहु को ज्यादा अच्छा मान लिया जाता है भले ही उसके मन में लालच ही क्यों न भरा हो।

सास ससुर अपने पोते-पोती में भी भेद करते देखे जा सकते हैं। किसी एक बेटे के बच्चों के लिए खिलौने, कपड़े लाना तो कभी उनको अपने साथ घूमने-घुमाने लेकर जाना। वहीं दूजी ओर दूसरे पोता-पोती को देखना भी न पसंद करना। यह भी एक कारण बनता है भाई भाई के बीच कलह का।

परिवार विखंडन का दोष केवल बहु को नहीं दिया जा सकता। सास ससुर को यह समझना चाहिए की उनके बेटे आपस में भाई भाई हैं किन्तु घर में आने वाली बहुएं आपस में बहन नहीं लगती। दोनों ही अलग अलग परिवार से आ रही हैं अतः उनकी जीवनशैली, विचारधारा, नजरिया, तौर तरीका, रहन सहन, शिक्षा, समझदारी, परवरिश, आचरण, व्यवहार आदि में बड़ा अंतर होता है। ऐसे में सभी बहुओं को एक ही छतरी के नीचे समान रूप से आना संभव नहीं होता अतः वे अपनी ईच्छाओं को अपने पतियों के सामने रखती हैं जो उन्हें अपनी जीवन संगिनी बनाकर लाया है। इसमें कुछ बुरा नहीं है और इस बात को हर पुरुष वर्ग को समझना भी चाहिए।

आज के समय में इंसान अपने ही परिवार का निर्वाह कर पाने में असक्षम है तो फिर भला एक बड़े व संयुक्त परिवार को लेकर चल पाना कितना मुश्किल होगा यह समझा जा सकता है। मेरा कहना ये है की रिश्ते में कुछ दूरी का होना और अलग अलग रहना ही बेहतर विकल्प है आपसी टकराव से बचने का। बेशक आप अपना कमाएं अपना खाएं किन्तु प्रेम, सम्मान व स्नेह एक दसूरे से बनाकर रखें ताकि मुश्किल की घड़ी में अपना साथ खड़ा हो।

धन्यवाद

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