Hindi, asked by rajverma756626, 4 months ago


हमको लिखयो है कहा गोपियाँ यह प्रश्न किससे पूछ रही है।

Answers

Answered by nainshusharma18129
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गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

उत्तर: वे कहती हैं कि उद्धव अपने उपदेश उन्हें दें जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है।

प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर: गोपियों को योग साधना की बात बेकार लगती है। उनकी हालत ऐसे ही है जैसे किसी बच्चे को उसके मनपसंद खिलौने की जगह कोई झुनझुना पकड़ा दिया गया हो। उनके लिए तो साधना का मतलब है कृष्ण के प्रति प्रेम। ऐसे में कोई अन्य योग साधना भला उनका क्या लाभ कर पाएगी।

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

उत्तर: गोपियों के अनुसार राजा का धर्म होता है कि प्रजा की सुध ले और प्रजा पर कोई आँच न आने दे।

गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस लेने की बात कहती हैं?

उत्तर: गोपियों को लगता है कि मथुरा जाने के बाद कृष्ण वृंदावन को भूल गए हैं। उन्हें वृंदावन की जरा भी याद नहीं आती। उनमें इतनी भी मर्यादा नहीं बची है कि स्वयं आकर गोपियों की सुध लें। इसलिए गोपियाँ अब कृष्ण से अपना मन वापस लेने की बात करती हैं।

गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर: गोपियाँ अत्यंत ही वाक चतुर हैं। उन्हें सही तरीके से व्यंग्य करना आता है। वे बिल्कुल सटीक उपमाएँ इस्तेमाल करके अपनी बात रखना जानती हैं। उन्हें ये भी पता है कि कृष्ण को धमकी कैसे दी जाए। उद्धव इन वाक चतुर गोपियों के सामने मूक से हो जाते हैं।

संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: भ्रमरगीत ब्रजभाषा में लिखे गए हैं। यह सामान्य जनों की बोलचाल की भाषा हुआ करती थी। आज भी वृंदावन और मथुरा के लोग इससे मिलती जुलती भाषा बोलते हैं। सामान्य लोगों की बोलचाल की भाषा में होने के कारण सूरदास की रचनाएँ काफी लोकप्रिय हुई थीं। भ्रमरगीत को छंदों में लिखा गया है ताकि लोग इन्हें आसानी से याद कर सकें। इन छंदों को आसानी से संगीत बद्ध किया जा सकता है। सूरदास ने अपने छंदों में उपमाओं और अलंकारों का प्रचुरता से प्रयोग किया है। इन छंदों के माध्यम से सूरदास ने भक्ति जैसे गूढ़ विषय को बड़ा ही रोचक बनाया है।

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