Hindi, asked by 67023, 11 months ago

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है।
-दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़े और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?​

Answers

Answered by RAthi21
6

hey!

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उत्तर:-

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खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही

कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।

कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।दोनों शेर अद्भुत भाव साम्य के उदाहरण हैं। दोनों में सुलह की सलाह सी दी गई है।

पहले में गालिब स्वर्ग न सही उसके खयाल स्वप्न कल्पना से मन बहलाकर समझौता करते हैं और यहाँ दुष्यंत ईश्वर के न मिलने पर मनुष्य से ही दिल को धीरज दे रहे हैं।

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hope help.u!!

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