Hamare bujurg
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हम सब कुछ बदल सकते हैं, लेकिन पूर्वज नहीं। हम उन्हें छोड़कर इतिहास बोध से कट जाते हैं और इतिहास बोध से कटे समाज जड़ों से टूटे पेड़ जैसे सूख जाते हैं। जिस परिवार में बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता उस परिवार में सुख, संतुष्टि और स्वाभिमान नहीं आ सकता। हमारे बड़े बुज़ुर्ग हमारा स्वाभिमान हैं, हमारी धरोहर हैं। उन्हें सहेजने की जरूरत है। यदि हम परिवार में स्थायी सुख, शांति और समृध्दि चाहते हैं तो परिवार में बुजुर्गों का सम्मान करें। यह बातें दीपगांवकलां में आयोजित समारोह में कार्यक्रम के सूत्रधार अनिल भवरे ने कही। उन्होंने बताया कतिया गौरव परिवार 1 अक्टूबर से वृद्धजन सम्मान पखवाड़ा मना रहा है। इसके तहत शुक्रवार को दीपगांव में कार्यक्रम रखा। इसमें उन्होंने कहा अब तक 15 से अधिक गावों में कार्यक्रम आयोजित कर 150 से अधिक समाज के वरिष्ठ जनों से मिल कर उनके अनुभवों को संकलित किया है। समाज के प्रांतीय अध्यक्ष रामलाल बडनेरे ने कहा हमारे परिवारों में माता-पिता को देवतुल्य मानते हैं। इस अवसर पर केवलराम ढोके, गोपाल ढोके, भगवानदास ढोके, प्रेमनारायण काजवे, कतिया गौरव परिवार से हुकुम बिल्लोरे, एनपी पाटनकर, भारत सिंह सेजकर आदि ने भी सभा को संबोधित किया।
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