hamare desh ke kanun vyavastha par apne vichar likhie
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आज हम अपना 60 वाँ गणतंत्र दिवस मना रहे हैं अर्थात अब हमारी आजादी बूढी होती जा रही है व हम अनुभवों से परिपक्व होते जा रहे हैं। इन 60 सालों में जहाँ हमारे देश ने आतंकवाद, सुनामी, भूकंप व बाढ़ का रूप में भयानक त्रासदी को सहा है तो वही चाँद पर फतह, भारतीयों का विदेशों में नाम, प्राकृतिक आपदाओं के तत्काल बाद नवनिर्माण आदि के रूप में अपनी विजय का परचम भी लहराया है।
हमारे देश में अब भी जनता की सरकार है। हर फैसला हमारा है परंतु फिर भी मन में एक टीस है, एक असुरक्षा की भावना है, न जाने क्यों आज हम आजाद होकर भी आजद नहीं है, सब कुछ पाने के बावजूद भी कुछ पाने की कमी महसूस कर रहे हैं। आज हम अपनी इस कुंठा को कभी राजनीतिज्ञों पर भ्रष्टाचार के रूप में तो कभी देश के कानून में खामियों के रूप में अभिव्यक्त करते हैं।
' क्या आज देश का कानून देश की सुरक्षा के लिए पर्याप्त है, क्या अब भी आप कहेंगे कि मेरा भारत महान है?' इस विषय पर हमने अनेक प्रबुद्ध नागरिकों से चर्चा की, इस विषय पर उनके विचार प्रस्तुत है :
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