Hamare Dharm Niti kar Naitik mulya ke Prati Vishesh Jagruk Kyon the
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नैतिक मूल्य
Explanation:
हमारे धर्म और नैतिक मूल्य हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं।हमारे धार्मिक ग्रंथ हमें ज्ञान और नैतिक शिक्षा हमें एक बेहतर व्यक्ति बनाते हैं।क्यूंकि हमारे ज्ञान की ज्योत जलती है।
मूल्यों के द्वारा सभी प्रकार की ‘वस्तुओं’ का मूल्यांकन किया जा सकता है, चाहे वे भावनाएँ हो या विचार, क्रिया, गुण, वस्तु, व्यक्ति, समूह, लक्ष्य या साधन। मूल्यों का एक उद्वेगात्मक आधार होता है। और भी स्पष्ट रूप में, मूल्य समाज के सदस्यों के उद्वेगों को अपील करता है और उन्हीं के भरोसे जीवित रहता है। व्यक्ति जब किसी चीज के विषय में विचार करता है, निर्णय लेता या मूल्यांकन करता है तो उस पर उद्वेग का प्रभाव स्पष्ट रहता है। एक उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। हिन्दुओं में विवाह से सम्बन्धित एक दृष्टि मूल्य अन्तःविवाह है, अर्थात् इस सामाजिक मूल्य के अनुसार व्यक्ति को अपनी ही जाति या उपजाति में विवाह करना चाहिए। इसके विपरीत यदि कोई अन्तर्जातीय विवाह करता है तो सामान्यतः यह देखने में मिलता है कि उस विवाह की चर्चा दाम्पत्ति के परिवारों में, पड़ोस या गांव में, मित्र-मंडलियों में बड़े उत्साह से उद्वेगपूर्ण शब्दों में की जाती है। उनके वार्तालाप से ऐसा लगता है मानों उन्हीं का सब कुछ छिन गया है या उन्हीं पर कोई आफत आ पड़ी है। उसी प्रकार यदि विवाह के पश्चात् नव-दम्पत्ति संयुक्त-परिवार से अलग हो जाते हैं तो उस दम्पत्ति की विशेषकर वधू की निन्दा होती है क्योंकि हिन्दुओं का सामाजिक मूल्य संयुक्त परिवार के पक्ष में है। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति धर्म, त्याग, अहिंसा के सिद्धान्तों पर अटल रहकर अपना प्राण तक दे देता है। तो उसकी प्रशंसा में लोग मुखारित हो उठते हैं क्योंकि उस व्यक्ति ने स्वीकृत मूल्यों को मान्यतादेते हैं।