Hamare Rashtriya Pratik par nibandh
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शीर्ष पर केसर का रंग बलिदान को दर्शाता है; बीच में सफेद बैंड, शांति, और नीचे हरे, समृद्धि। और वहां के अशोक चक्रों के बीच में 24 विधियां हैं। यह फिर से शांति और पवित्रता के लिए सम्राट अशोक के महान आदर्शों को रेखांकित करता है। ध्वज 22 जुलाई, 1 9 47 को अपनाया गया था।
प्रतीक:
हमारा राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के शीर्ष पर चार शेरों का सिर है। इसके नीचे का भाग धर्मचक्र से सजाया जाता है। इसमें बाईं तरफ एक घोड़ा है और मरने के ठीक पर एक बैल है
उपनिषद सेठमेव जयते का अनुवाद, 'त्रिदी अकेली जीत' का नारा, मरने के नीचे पर अंकित है। (यह जनवरी 26, 1 9 50 को गणतंत्र दिवस के दिन पर अपनाया गया था)
its about national symbols
हमारे राष्ट्रीय प्रतीक
प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र के कुछ राष्ट्रीय प्रतीक होते हैं । ये प्रतीक उस राष्ट्र की पहचान होते हैं और उसकी स्वतंत्रता का बोध कराते हैं । भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है । उसके कुछ अपने राष्ट्रीय प्रतीक हैं । ये प्रतीक उसकी स्वतंत्रता और सांस्कृतिक गरिमा के प्रतीक हैं । हमारे पाँच प्रमुख राष्ट्रीय प्रतीक हैं- राष्ट्रध्वज , राष्ट्रगान , राष्ट्रचिह्न , राष्ट्रीय पक्षी और राष्ट्रीय पशु । इनके माध्यम से भारत के राष्ट्रीय स्वरूप की पहचान बनती है । सभी भारतवासी इन राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान और निष्ठा की भावना रखते हैं ।
राष्ट्रध्वज के रूप में हमने तिरंगे झंडे को अपनाया है । 22 जुलाई , 1947 को संविधान सभा ने तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकृत किया । यह तिरंगा झंडा स्वाधीनता संग्राम में हमारे संघर्ष का प्रतीक था । इसी को थोड़े परिवर्तन के साथ राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया गया । इसमें चरखे के स्थान पर चक्र को स्वीकार किया गया । यह अशोक - चक्र का प्रतिरूप है । इस झंडे में समान आकार की तीन पट्टियाँ हैं । झंडे की लंबाई इसकी चौड़ाई से डेढ़ गुना होती है । इस राष्ट्रध्वज में केसरिया रंग त्याग , बलिदान और शौर्य का परिचायक है । ध्वज के बीच का सफ़ेद रंग शांति , पवित्रता और निर्मलता का द्योतक है । चक्र को सारनाथ के अशोक - स्तंभ से लिया गया है । यह चक्र निरंतर आगे बढ़ते रहने का प्रतीक है । इस चक्र में 24 तीलियाँ होती हैं । झंडे की नीचे की हरी पट्टी देश की हरियाली एवं संपन्नता का प्रतीक है । राष्ट्रध्वज को सम्मानपूर्वक फहराना चाहिए । अब प्रत्येक नागरिक को इसे फहराने का अधिकार प्राप्त है । इसे फहराते समय सावधान की मुद्रा में खड़ा रहना चाहिए । राष्ट्रीय शोक के समय राष्ट्रध्वज को आधा झुका दिया जाता है ।
राष्ट्रगान की रचना कविवर रवींद्रनाथ टैगोर ने की । ' जन - गण - मन ' हमारा राष्ट्रगान है । इसे गाते समय सावधान की मुद्रा में खड़े होते हैं । इसे सामूहिक रूप से गाया जाता है । बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखित ' वंदे मातरम् ' गीत को राष्ट्रगीत का स्थान प्राप्त है ।
भारत का राष्ट्र - चिह्न सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है । इसमें चार सिंह हैं , किंतु चित्र में तीन सिंह ही दिखाई देते हैं । सिंहों के नीचे घोड़े और बैल के चित्र हैं । इन दोनों चित्रों के बीच में चक्र है । इसके नीचे ' सत्यमेव जयते ' लिखा है । इसका अर्थ है सत्य की ही विजय होती है ।
राष्ट्र - चिह्न के संबंध में यह बात ध्यान देने योग्य है कि इसका प्रयोग केवल सरकारी कार्यों के लिए होता है । मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है और बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु । राष्ट्रीय पशु होने के कारण बाघ का वन्य जंतुओं में विशिष्ट स्थान होता है । इसे मारना अपराध है ।
हमारे राष्ट्रीय प्रतीक हमारी सांस्कृतिक अस्मिता की पहचान से जुड़े हुए हैं । ये देश की गौरवमयी परंपराओं एवं जीवन - मूल्यों को प्रकट करते हैं ।