हमदर्दी जताने की भी एक सीमा होती है। इस विषय पर अपने विचार लिखिए
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जब वह सिर्फ 19 महीनों की थी, तब वह किसी बीमारी की वजह से पूरी तरह अंधी और बहरी हो गयी। लेकिन एक रहमदिल टीचर ने हेलेन को ब्रेल भाषा पढ़ना और लिखना सिखाया। और बाद में उसे बात करना भी सिखाया। कॆलर की टीचर, ऐन सलिवन अच्छी तरह जानती थी कि अपंगता से होनेवाली मानसिक वेदना सहना कितना दर्दनाक होता है।
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हमदर्दी भी एक सीमा तक ही अछि लगती है उसके बाद वह नाटक के सामान लगने लगता है।
- जब कभी इंसान दुखी या निराश होता है या किसी चीज़ से उसे बहुत पीड़ा पहुँचती है तब वो एक ऐसे इंसान की सहायता ढूंढता है जो उसे समझे और सही राह दिखाए। ऐसे में हमदर्दी एक सीमा तक ही पसंद आती है।
- हमदर्दी दिखा कर केवल एक इंसान अपना भाव ही प्रकट कर सकता है। उससे ज़्यादा वो किसी लाभ का नहीं होता। इसे समझदारी का कार्य भी नहीं कहा जा सकता क्यूंकि समझदारी से काम लेना सहानुभूति दिखाना होता है।
- एक इंसान को कब तक हमदर्दी देकर बहलाते रहेंगे। थोड़े समय के बाद उसे सहानुभूति की आवश्यकता होती है। दूसरे के भावों और सोच को समझना कर फिर उसे बढ़ावा और प्रोत्साहन देना ही एक ऐसी चीज़ है जो इंसान हमदर्दी के ऊपर कर सकता है।
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