hame vijye ke sath prajay ko bhi swikar karna chahiye aur prajay ke karno ko jankar swasth prampara ka vikas karna chahiye. is vishay par anuched likhikye
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हमें विजय के साथ पराजय को भी स्वकर करना चाहिए और पराजय के कारणों को जानकर स्वस्थ परम्परा का विकास करना चाहिए |
इस कथन पर मेरे विचार इस प्रकार है , हमें विजय के साथ पराजय को भी स्वकर करना चाहिए और पराजय के कारणों को जानकर स्वस्थ परम्परा का विकास करना चाहिए | विजय पर पराजय हमारे जीवन के दो पहलू है | जब भी हम कोई कार्य करते है , तो उसका परिणाम हार या जीत होती है | हमें जीवन अपने पराजय मिलने के बाद हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए | हमें अपनी पराजय के कारण को जानकर और मेहनत करनी चाहिए | इतनी मेहनत करनी चाहिए , जब तक हमें सफलता न मिल जाए | हमें अपनी पराजय से कभी हार नहीं माननी चाहिए | हमें अपनी हार को हिम्मत बनाकर सफलता के लिए मेहनत करनी चाहिए |
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