Hamen Kisi Budhe vyakti ke sath Kaisa vyavhar karna chahiye ki use Budha hone ka aabhas Hi Na Ho. 10 Vakya Mein Apna vichar likhiye
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व्यवहार में कुशल होने की कला सीखना
जब पेगी ने देखा कि उसका बेटा, अपने छोटे भाई से बड़ी रुखाई से बात कर रहा है तो उसने बेटे से पूछा: “यह बताओ, क्या अपने भाई से बात करने का यही सबसे अच्छा तरीका है? देखो तो वह कितना उदास है!” पेगी ने ऐसा क्यों कहा? दरअसल वह अपने बेटे को दूसरों के साथ कुशलता से व्यवहार करने और उनकी भावनाओं को समझने की कला सिखा रही थी।
प्रेरित पौलुस ने अपने नौजवान साथी तीमुथियुस को प्रोत्साहित किया कि वह “सब के साथ कोमल [या “अपने व्यवहार में कुशल”] हो।” अगर वह व्यवहार कुशल होगा तो दूसरे की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाएगा। (2 तीमुथियुस 2:24) व्यवहार में कुशल होने का मतलब क्या है? आप दूसरों के साथ और ज़्यादा कुशलता से कैसे व्यवहार कर सकते हैं? इस कला को बढ़ाने में आप दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं?
व्यवहार में कुशल होने का मतलब क्या है?
व्यवहार में कुशल होने का मतलब है: “हालात की नज़ाकत को समझने की काबिलीयत रखना और उसके मुताबिक ऐसी बात कहना या काम करना जो सबसे उचित हो।” जिस तरह हमारी उँगलियाँ चिपचिपी, कोमल, नरम, गरम या फिर रोएँदार चीज़ को महसूस कर लेती हैं, ठीक उसी तरह व्यवहार कुशल व्यक्ति दूसरों की भावनाओं को महसूस कर सकता है। वह अच्छी तरह समझ लेता है कि उसकी कही बात या उसके किए काम का दूसरों पर कैसा असर हो रहा है। लेकिन व्यवहार में कुशल होना सिर्फ एक हुनर ही नहीं
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