hans patrica ke sansthapak ka name bataye
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उन्नीसवीं सदी के तीसरे दशक से लेकर अब तक हंस पत्रिका ने अपने प्रकाशन में कई संपादकीय व्यक्तित्व देखे लेकिन जिन दो साहित्यकारों ने संस्थापक-संपादक के रूप में इसे बनाया, सँवारा और निखारा वे उपन्यास सम्राट प्रेमचंद और सुविख्यात कथाकार राजेन्द्र यादव हैं।
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