History, asked by anil496, 1 year ago

hanuman ko ichhamrityu ka verdan kon diya tha


preeti09: lord vishnu

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Answered by brajnedra
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taking wo kabhi maren na
Answered by AbhinavAtreus
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हनुमान जी को किन देवताओ ने क्या वरदान दिए, जानिए


ये बात तो सब  जानते  है कि सब संकटो के हरणकर्ता श्री राम भक्त बजरंगबली है। आज हनुमान जयंती है। इस अवसर पर हम आपको हनुमान जी के बारे कुछ ऐसी बाते बताएंगे जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे। जैसे- हनुमान जी को अमर होने का वरदान किसने दिया?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब हनुमानजी माता सीता की खोज करते हुए लंका में पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो वे बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमानजी को अपनी अंगूठी दी और अमर होने के वरदान दिया।
'शिवपुराण' के अनुसार, देवताओं और दानवों को अमृत बांटते हुए विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया। सप्त ऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर लिया। समय आने पर सप्त ऋषियों ने भगवान शिव के वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्रीहनुमानजी उत्पन्न हुए।

 

वाल्मीकि 'रामायण' के अनुसार, बचपन में जब हनुमान सूर्यदेव को फल समझकर खाने को दौड़े तो घबराकर देवराज इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र का वार किया। वज्र के प्रहार से हनुमान बेहोश हो गए। यह देखकर वायुदेव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने समस्त संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया। संसार में हाहाकार मच गया। तब परमपिता ब्रह्मा हनुमान को होश में लाए। उस समय सभी देवताओं ने हनुमानजी को वरदान दिए। इन वरदानों से ही हनुमानजी परम शक्तिशाली बन गए।
1. भगवान सूर्य ने हनुमानजी को अपने तेज का सौवां भाग देते हुए कहा कि जब इसमें शास्त्र अध्ययन करने की शक्ति आ जाएगी, तब मैं ही इसे शास्त्रों का ज्ञान दूंगा, जिससे यह अच्छा वक्ता होगा और शास्त्रज्ञान में इसकी समानता करने वाला कोई नहीं होगा।
2. धर्मराज यम ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह मेरे दण्ड से अवध्य और निरोग होगा।
3. कुबेर ने वरदान दिया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा तथा मेरी गदा संग्राम में भी इसका वध न कर सकेगी।
4. भगवान शंकर ने यह वरदान दिया कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा।

 

5. देव शिल्पी विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि मेरे बनाए हुए जितने भी शस्त्र हैं, उनसे यह अवध्य रहेगा और चिंरजीवी होगा।
6. देवराज इंद्र ने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि यह बालक आज से मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा।
7. जलदेवता वरुण ने यह वरदान दिया कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी मेरे पाश और जल से इस बालक की मृत्यु नहीं होगी।
8. परमपिता ब्रह्मा ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह बालक दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से अवध्य होगा। युद्ध में कोई भी इसे जीत नहीं पाएगा। यह इच्छा अनुसार रूप धारण कर सकेगा, जहां चाहेगा जा सकेगा। इसकी गति इसकी इच्छा के अनुसार तीव्र या मंद हो जाएगी।
जब हनुमानजी विद्या ग्रहण करने के योग्य हुए तो माता-पिता ने उन्हें सूर्यदेव के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। हनुमानजी ने जाकर सूर्यदेव से गुरु बनने के लिए प्रार्थना की। तब सूर्यदेव ने कहा कि मैं तो एक क्षण के लिए रूक नहीं सकता और न ही मैं रथ से उतर सकता हूं। ऐसी स्थिति में मैं तुम्हें किस तरह शास्त्रों का ज्ञान दे पाऊंगा।
तब हनुमानजी ने कहा कि आप बिना अपनी गति कम किए ही मुझे शास्त्रों का ज्ञान देते जाईए। मैं इसी अवस्था में आपके साथ चलते हुए विद्या ग्रहण कर लूंगा। सूर्यदेव ने ऐसा ही किया। सूर्यदेव वेद आदि शास्त्रों का रहस्य शीघ्रता से बोलते जाते और हनुमानजी शांत भाव से उसे ग्रहण करते जाते। इस प्रकार सूर्यदेव की कृपा से ही हनुमानजी को ज्ञान की प्राप्ति हुई।


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AbhinavAtreus: please mark as brainliest..I will follow you
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