Happy Dusshera friends...... Why do we celebrate Dusshera for 9 days and why is the last 9th day celebrated as main festival. lf you know only answer. Please donot attempt for marks.
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tell the meaning of skb
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Firstly I would make correct you in your wording because we don't celebrate Dussehra for 9 days but we celebrate it after 9 days of Navaratri. It was the day when Lord Ram killed( sanghar(d)) Ravan
and the day is considered as the day of victory of truth upon false and evil practices.
Hope it clears your doubts
PLEASE MARK ME BRAINLLIEST
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Hope it will help you!!!!!
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
प्राचीन समय में, राजा राम को उनके राज्य अयोध्या से 14 साल के लिये वनवास पर भेज दिया गया था। वनवास के आखिरी सालों में रावण ने सीता का हरण कर लिया। ऐसा कहा जाता है कि राम के भाई लक्ष्मण ने रावण की बहन के नाक-कान काट दिये थे जिस कारण रावण ने लक्ष्मण की भाभी सीता का अपहरण कर लिया जिसके उपरांत भगवान राम और लंका के राजा रावण में भयावह युद्ध हुआ, भगवान राम ने विजयादशमी के दिन ही रावण पर विजय पाकर अयोध्या लौटे। विजयादशमी के इस दिन बुराई पर अच्छाई के विजय के प्रतीक के रूप में रावण के पुतले का दहन कर दशहरा मनाया जाता है।
निष्कर्ष
लोग इस पर्व को ढेर सारी खुशी और उत्साह के साथ मनाते है। विजयादशमी भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा यानी माँ दुर्गा का महिषासुर पर विजय के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है।
दशहरा पर निबंध 3 (300 शब्द)
प्रस्तावना
दशहरा हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण और मायने रखने वाला त्यौहार है। इस पर्व का महत्व पारंपरिक और धार्मिक रुप से बहुत ज्यादा है। भारतीय लोग इसे बहुत उत्साह और भरोसे से मनाते है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को भी प्रदर्शित करता है अर्थात् पाप पर पुण्य की जीत। लोग इसे कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाते है। धार्मिक लोग और भक्तगढ़ पूरे दिन व्रत रखते है। कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते है तो कुछ देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये इसमें पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते है। दशहरा का पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के अंत में दीवाली के दो सप्ताह पहले आता है।
रामलीला का आयोजन
देश के कई बरसों में दशहरा को मनाने का रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग है। कई जगहों पर पूरा दस दिन के लिए मनाया जाता है, मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्र और रामायण की कहानियां भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने सुनाई जाती है साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन 7 दिन या मौसम तक किया जाता है। सारे शहर में रामलीला का आयोजन होता है। राम लीला पौराणिक महाकाव्य, रामायण का एक लोकप्रिय अधिनियम है। ऐसा माना जाता है कि महान संत तुलसीदास ने राम, राम की परंपरा शुरू की, जो भगवान राम की कहानी के अधिनियम था। उनके द्वारा लिखी गई रामचरितमानस आज तक रामलीला प्रदर्शन का आधार बनाती हैं। रामनगर राम लीला (वाराणसी में) सबसे पारंपरिक शैली में अधिनियमित किया गया है।
निष्कर्ष
विजयदशमी मनाने के पीछे राम लीला का उत्सव पौराणिक कथाओं को इंगित करता है। ये सीता माता के अपहरण के पूरे इतिहास को बताता है, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण की हार और अंत तथा राजा राम की जीत को दर्शाता है। वास्तविक लोग राम, लक्ष्मण और सीता तथा हनुमान का किरदार निभाते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण का पुतला बनाया जाता है। अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाने के लिये रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले जला दिये जाते है और पटाखों के बीच इस उत्सव को और उत्साह के साथ
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
प्राचीन समय में, राजा राम को उनके राज्य अयोध्या से 14 साल के लिये वनवास पर भेज दिया गया था। वनवास के आखिरी सालों में रावण ने सीता का हरण कर लिया। ऐसा कहा जाता है कि राम के भाई लक्ष्मण ने रावण की बहन के नाक-कान काट दिये थे जिस कारण रावण ने लक्ष्मण की भाभी सीता का अपहरण कर लिया जिसके उपरांत भगवान राम और लंका के राजा रावण में भयावह युद्ध हुआ, भगवान राम ने विजयादशमी के दिन ही रावण पर विजय पाकर अयोध्या लौटे। विजयादशमी के इस दिन बुराई पर अच्छाई के विजय के प्रतीक के रूप में रावण के पुतले का दहन कर दशहरा मनाया जाता है।
निष्कर्ष
लोग इस पर्व को ढेर सारी खुशी और उत्साह के साथ मनाते है। विजयादशमी भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा यानी माँ दुर्गा का महिषासुर पर विजय के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है।
दशहरा पर निबंध 3 (300 शब्द)
प्रस्तावना
दशहरा हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण और मायने रखने वाला त्यौहार है। इस पर्व का महत्व पारंपरिक और धार्मिक रुप से बहुत ज्यादा है। भारतीय लोग इसे बहुत उत्साह और भरोसे से मनाते है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को भी प्रदर्शित करता है अर्थात् पाप पर पुण्य की जीत। लोग इसे कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाते है। धार्मिक लोग और भक्तगढ़ पूरे दिन व्रत रखते है। कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते है तो कुछ देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये इसमें पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते है। दशहरा का पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के अंत में दीवाली के दो सप्ताह पहले आता है।
रामलीला का आयोजन
देश के कई बरसों में दशहरा को मनाने का रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग है। कई जगहों पर पूरा दस दिन के लिए मनाया जाता है, मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्र और रामायण की कहानियां भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने सुनाई जाती है साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन 7 दिन या मौसम तक किया जाता है। सारे शहर में रामलीला का आयोजन होता है। राम लीला पौराणिक महाकाव्य, रामायण का एक लोकप्रिय अधिनियम है। ऐसा माना जाता है कि महान संत तुलसीदास ने राम, राम की परंपरा शुरू की, जो भगवान राम की कहानी के अधिनियम था। उनके द्वारा लिखी गई रामचरितमानस आज तक रामलीला प्रदर्शन का आधार बनाती हैं। रामनगर राम लीला (वाराणसी में) सबसे पारंपरिक शैली में अधिनियमित किया गया है।
निष्कर्ष
विजयदशमी मनाने के पीछे राम लीला का उत्सव पौराणिक कथाओं को इंगित करता है। ये सीता माता के अपहरण के पूरे इतिहास को बताता है, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण की हार और अंत तथा राजा राम की जीत को दर्शाता है। वास्तविक लोग राम, लक्ष्मण और सीता तथा हनुमान का किरदार निभाते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण का पुतला बनाया जाता है। अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाने के लिये रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले जला दिये जाते है और पटाखों के बीच इस उत्सव को और उत्साह के साथ
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