har kisi ko aatmaraksha karni hogi
apne vichar spast kigiye ..
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कोई भी व्यक्ति स्वयं की जान व माल की रक्षा के लिए किसी को रोके व कोई भी साधन उपयोग करके उससे अपनी जान व माल की रक्षा करे वह आत्मरक्षा होती है व्यक्ति स्वयं की संपत्ति का रक्षा किसी भी चोरी, डकैती, शरारत व अपराधिक अतिचार के खिलाफ कर सकता है। ऐसा वह व्यक्ति किसी दुसरे की जान बचाने के लिए भी कर सकता है पर सम्पत्ति बचाने के लिए नही | ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की मियु भी हो जाती है तो वो आत्मरक्षा में आता है।
(A) आत्मरक्षा का अधिकार रक्षा या आत्मसुरक्षा का अधिकार है । इसका मतलब प्रतिरोच या सजा नहीं है। (B) आत्मरक्षा के दौरान चोट जितनी जरुरी हों उससे ज्यादा नही होनी चाहिए। (C)ये अधिकार सिर्फ तभी तक ही उपलब्ध है जब तक कि शरीर अथवा संपत्ति को खतरे की उचित आशंका हो या जब कि खतरा सामने हो या होने वाला हो क्या है
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