Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

har nahi manunga full poem of atal bihari vajpai

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Answered by MOSFET01
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गीत नहीं गाता हूँ।
बेनक़ाब चेहरे है,दाग़ बड़े गहरे है 
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ 
गीत नहीं गाता हूँ।

लगी कुछ ऐसी नजर ,
बिखरा शीशे सा शहर,
अपनों के मेले में मीत नहीं पता हूँ।
गीत नहीं गाता हूँ। 

पीठ पर छुरी चाँद,
राहु  गया रेखा फाँद,
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ 
गीत नहीं गाता  हूँ। 



[कवि की मन:स्थिति बदलती हैं, वो आशावादी हो जाता है।]


गीत  नया गाता हूँ।
टूटे हुए तारो से ,फूटे बासंती स्वर 
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर 
झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात 
प्राची में अरूढ़िमा की रेत देख पाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।

टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी,
अन्तः को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी,
हार नहीं मानूँगा,
रार नयी ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ। 
गीत नया गाता हूँ।
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