हरि आप हरो जनरी भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
बूढतो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीरी लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।।
Q. प्रस्तुत पद में मीरा की भक्ति किस प्रकार की है?
(क) दास्य भक्ति
(ख) वात्सल्य भक्ति
(ग) दाम्पत्य भक्ति श्रीकाले माटी की मार्गी
(घ) इनमें से कोई भी नहीं
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