हर गली, सड़क, चौराहे पर
भाषण की गंगा बहती है।
हर समझदार नर-नारी के
कानों में कहती रहती है-
मत पुण्य करो, मत पाप करो,
मत राम-नाम का जाप करो,
कम से कम दिन में एक बार-
थई, ध्याषण दो, धई, ध्याषण दो। Bharath
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poem op amit bolata
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