Hindi, asked by mohitdager4567, 7 months ago

हरिहर काका के यहाँ से मैं अभी अभी लाटा हूँ। कल भी उनके यहाँ गया था, लेकिन न तो वह
कल ही कुछ कह सक और न आज ही। दाना दिन उनके पास में देर तक बैठा रहा, लेकिन
उन्होंने कोई बातचीत नहीं की। जब उनकी तबीयत के बारे में पूछा तब उन्होंने सिर उठाकर एक
बार मुझे देखा। फिर सिर झुकाया ता दुबारा मरी ओर नहीं देखा। हालांकि उनको एक ही नजर
बहुत कुछ कह गई। जिन यंत्रणाओं' के बीच वह घिर थे और जिस मन:स्थिति में जी रहे थे, उसमें
आँखें ही बहुत कुछ कह देती हैं. मँह खोलने की जरूरत नहीं पड़ती।
अपने कंधे पर बैठाकर घुमाया करते थे। एक पिता अपने बच्चे को जितना प्यार करता है, मग कहीं
ज्यादा प्यार हरिहर काका मुझ करते थे। और जब में सयाना हुआ तब मेरी पहली दोस्ती हरिहर
काका के साथ ही हुई। हरिहर काका ने भी जैसे मुझसे दोस्ती के लिए ही इतनी उस तक प्रतीक्षा
कुछ कहना उन्होंने बंद कर दिया है। उनकी इस स्थिति ने मझे चितित कर दिया है। जैसे कोई नाब
हरिहर काका
हरिहर काका की जिंदगी से में बहुत गहर में जहा हूँ। अपने गाँव में जिन चंद लोगों को सम्मा।
हता हूँ, उनमें हरिहर काका भी एक है। हरिहर काका के प्रति मेरी आसक्ति' के अनेक व्यावहारिक
और वैचारिक कारण हैं। उनमें प्रमुख कारण दो हैं। एक तो यह कि हरिहर काका मेरे पड़ोस में रहते
और दूसरा कारण यह कि मरी माँ बताती है, हरिहर काका बचपन में मुझे बहुत दुलार करते थे।
की थी। माँ बताती है कि मुझसे पहले गाँव में किसी अन्य से उनकी इतनी गहरी दोस्ती नहीं हुई
श्री। वह मुझसे कुछ भी नहीं छिपाते थे। खूब खुलकर बातें करते थे। लेकिन फिलहाल मुझसे
बीच मझधार में फँसी हो और उस पर सवार लोग चिल्लाकर भी अपनी रक्षा न कर सकते हो,
क्योंकि उनकी चिल्लाहट दूर तक फैले सागर के बीच उठती-गिरती लहरों में विलीन हो जाने के
मौन होकर जल समाधि लेने के अतिरिक्त कोई दूसरा विकल्प
कतई तैयार नहीं। जीने की लालसा की वजह से बेचैनी और
स्थिति के बीच हरिहर काका घिर गए हैं।
अतिरिक्त कर ही क्या सकती है?
नहीं। लेकिन मन इसे मानने को
छटपटाहट बढ़ गई हो, कुछ ऐसी
.
TICI
मा
गलप्त होना Sara batiya​

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Answered by shakshigupta91
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Ok sure

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