हरिहर काका कहानी का नवीन अंत (150 - 200 words)
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मेरा मौन कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए इसके सिवा और कोई इलाज न था कि रोष से मिले हुए शब्दों में मेरा सत्कार करें। 'इस तरह अंग्रेजी पढोगे, तो जिन्दगी-भर पढते रहोगे और एक हर्फ न आएगा। ... बडे-बडे विद्धान भी शुद्ध अंगरेजी नही लिख सकते, बोलना तो दुर रहा।
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ऐसी सम्भावना है कि हरिहर काका ने अपनी भूमि वर्णनकर्ता को दे दी हो। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कहानी में यह उल्लेख है कि काका ने कथावाचक को अपने पुत्र के समान माना। वे हर हाल में एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह समझते थे। साथ ही, वर्णनकर्ता उसे बचपन से जानता था। या वह कहानी में बाद में बीमार पड़ने पर अपनी देखभाल करने वाले व्यक्ति को अपनी जमीन भी दे देता था।
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