हरे हरे यह पात
डालियाँ कलियाँ कोमल गात
मै ही अपना स्वप्न मृद्ल कर फेरूगा
निद्रित कलियो पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
इन पंक्तियों का प्रसंग एवं संदर्भ बताईए।
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जो यह हरे हरे पात डालियां कलियां है कोमल शरीर बहुत ही अच्छा है मैं अपने सपने को सरकार करूंगा मैं सोए हुए युवाओं को जगाऊगा उनके जीवन में खूबसूरत सवेरा लाऊंगा
Explanation:
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